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Up Kiran, Digital Desk: प्लास्टिक प्रदूषण का बढ़ता जाल अब हमारे पर्यावरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे अपने शरीर के भीतर भी पहुँच रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण हैं माइक्रोप्लास्टिक - प्लास्टिक के वे अति-सूक्ष्म कण जो हर जगह फैल चुके हैं। इंडिया टीवी न्यूज़ का यह लेख इस गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डालता है कि कैसे ये नन्हे कण हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।

ये माइक्रोप्लास्टिक कण हमारे भोजन, पीने के पानी और यहाँ तक कि हवा के माध्यम से भी आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। एक बार शरीर के अंदर पहुँचने के बाद, ये कण अलग-अलग अंगों में जमा हो सकते हैं और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

रिसर्च और अध्ययन धीरे-धीरे यह उजागर कर रहे हैं कि माइक्रोप्लास्टिक का संपर्क मानव स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है। इसके संभावित दुष्प्रभावों में श्वसन संबंधी समस्याएं (साँस लेने में दिक्कतें) शामिल हैं, क्योंकि हवा के माध्यम से ये कण सीधे हमारे फेफड़ों में पहुँच सकते हैं।

और बात सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है; ये कण रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य हिस्सों तक भी पहुँच सकते हैं। अध्ययनों में यह संकेत मिला है कि माइक्रोप्लास्टिक का संबंध हृदय संबंधी समस्याओं (दिल की बीमारियों) से भी हो सकता है।

इसके अलावा, ये कण शरीर में सूजन (inflammation) पैदा कर सकते हैं और हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे कई अन्य पुरानी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ सकता है।

यह सब इस बात पर ज़ोर देता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना केवल पृथ्वी को बचाने के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए भी कितना महत्वपूर्ण है। 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' (Beat Plastic Pollution) जैसा अभियान चलाना इसलिए बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह सीधे तौर पर हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा है।

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