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Up Kiran , Digital Desk: आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से राहत की अगली किस्त पाने के लिए अब और भी कठिन रास्तों से गुजरना होगा। IMF ने अपने बहुप्रतीक्षित आर्थिक सहायता कार्यक्रम की अगली किश्त जारी करने के बदले पाकिस्तान के सामने 11 नई सख्त शर्तें रखी हैं। ये शर्तें केवल बजटीय अनुशासन तक सीमित नहीं बल्कि अब राष्ट्रीय सुरक्षा कृषि नीति और ऊर्जा क्षेत्र की रणनीतियों तक पर असर डालती दिख रही हैं।

क्या हैं IMF की नई शर्तें

17600 अरब रुपये के बजट को संसद से मंजूरी दिलाना।

10700 अरब रुपये विकास परियोजनाओं पर खर्च।

तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना।

बिजली बिलों में ‘ऋण भुगतान अधिभार’ बढ़ाना।

2027 के बाद की वित्तीय रणनीति की रूपरेखा प्रकाशित करना।

ऊर्जा क्षेत्र में चार नई संरचनात्मक सुधार लागू करना।

प्रांतों में कृषि आयकर के लिए डिजिटल संरचना स्थापित करना।

IMF द्वारा सुझाए गए प्रशासनिक सुधारों की सार्वजनिक कार्ययोजना।

करदाता पहचान व रिटर्न प्रणाली का आधुनिकीकरण।

संघीय इकाइयों के लिए अनुपालन सुधार योजना।

कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा खर्च में पारदर्शिता।

इन 11 शर्तों के साथ अब पाकिस्तान पर कुल मिलाकर 50 से अधिक शर्तें लागू हो चुकी हैं जो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि IMF के साथ उसका रिश्ता अब महज आर्थिक सहयोग नहीं बल्कि नीतिगत निगरानी जैसा हो चुका है।

भारत-पाक तनाव: IMF के लिए "जोखिम" पाकिस्तान के लिए सुरक्षा का प्रश्न

IMF की रिपोर्ट में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव बढ़ता है तो आर्थिक सुधार कार्यक्रम पटरी से उतर सकता है। 

 

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