
Up Kiran, Digital Desk: छात्र राजनीति में कभी एक प्रभावशाली चेहरा रहा मनोजित मिश्रा, अब एक जघन्य बलात्कार के आरोप में सलाखों के पीछे है। उसकी गिरफ्तारी ने कोलकाता के शैक्षणिक गलियारों में उसके आतंक और दबदबे की कहानी को फिर से खोल दिया है। मनोजित मिश्रा की यह कहानी छात्र नेता से एक खूंखार अपराधी बनने के 'भयानक' सफर को दर्शाती है, जहाँ उसका दबदबा खौफ और डर पर आधारित था।
मनोजित मिश्रा, आलिया विश्वविद्यालय में तृणमूल छात्र परिषद (TMCP) का प्रमुख चेहरा था। छात्र समुदाय के बीच उसकी पहचान केवल उसके संगठनात्मक कौशल से नहीं, बल्कि उसकी दबंगई, मारपीट और धमकी के लिए भी थी। उसके विरोध में खड़े होने वाले या उसकी बात न मानने वाले छात्रों और यहां तक कि फैकल्टी सदस्यों को भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते थे।
मनोजित मिश्रा पर न केवल मारपीट और रंगदारी बल्कि जमीन हड़पने और कॉलेज में दाखिले के घोटालों में भी शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। उसके खिलाफ अतीत में कई आपराधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन उसके कथित राजनीतिक संपर्कों और दबदबे के कारण वह अक्सर कानून की पकड़ से बच निकलता था। कैंपस में उसका इतना खौफ था कि छात्र उसके खिलाफ खुलकर बोलने से डरते थे। उसकी हरकतों को नजरअंदाज किया जाता रहा, जिससे उसका हौसला बढ़ता गया और वह खुद को 'कानून से ऊपर' समझने लगा।
हाल ही में एक गैंगरेप के मामले में उसकी गिरफ्तारी ने उसके 'साम्राज्य' का अंत कर दिया। पुलिस ने उसे इस जघन्य अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया है, जो समाज में उसकी हिंसक और आपराधिक प्रवृत्ति को उजागर करता है। यह गिरफ्तारी उन सभी लोगों के लिए न्याय की उम्मीद जगाती है, जो सालों से उसके आतंक का शिकार रहे हैं।
मनोजित मिश्रा की कहानी दर्शाती है कि कैसे छात्र राजनीति में आपराधिक तत्वों का प्रवेश समाज और खासकर युवा पीढ़ी के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। यह मामला कानून-व्यवस्था और शिक्षण संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है, और उम्मीद है कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा और ऐसे 'कैंपस किंग' का राज हमेशा के लिए खत्म होगा।
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