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Up Kiran, Digital Desk: जहां चाह, वहां राह ये कहावत हम सबने सुनी है, मगर रांची की तहरीन फातिमा ने इसे जीकर दिखाया है। जिस लड़की के पिता डेली मार्केट में ठेले पर कपड़े बेचते हैं, वही लड़की आज झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की जिला टॉपर बन गई है। तहरीन ने 97.4% अंक हासिल करके ये साबित कर दिया है कि संघर्ष अगर हो, तो सपनों की उड़ान पंखों की मोहताज नहीं होती।

पढ़ाई में कंसिस्टेंसी बनी सफलता की चाबी

मीडिया से बातचीत में तहरीन ने बताया कि उसने हर दिन तीन से चार घंटे की पढ़ाई की, मगर सबसे जरूरी बात ये थी कि एक दिन भी ब्रेक नहीं लिया।

उसने बताया कि  मैंने कभी सोचा नहीं था कि जिला टॉपर बनूंगी, मगर मेहनत और निरंतरता पर विश्वास था। यही मुझे आगे बढ़ाता गया। उनका मानना है कि कभी-कभार दिन भर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, असली जादू रोज थोड़ा-थोड़ा सीखने में छिपा है।

पिता की मेहनत बना सबसे बड़ा मोटिवेशन

तहरीन के पिता रांची के डेली मार्केट में ठेला लगाकर कपड़े बेचते हैं। दिन भर की कड़ी मेहनत और आर्थिक तंगी के बीच भी उन्होंने कभी अपनी बेटियों की पढ़ाई पर समझौता नहीं किया।

आगे उसने बताया कि पिताजी की मेहनत मेरे लिए सबसे बड़ा मोटिवेशन रही है। उन्हें रोज़ देखकर लगता था कि मैं और मेहनत करूं, ताकि उनकी मेहनत रंग लाए।

तहरीन की दो और बहनें हैं, जो उसी स्कूल — उर्सलाइन गर्ल्स स्कूल रांची में पढ़ती हैं। ऐसे में तीन बेटियों की पढ़ाई के खर्च को उठाना किसी ‘सुपरहीरो’ से कम नहीं था।

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