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Up Kiran, Digital Desk: 2005 में बिहार में लालू-राबड़ी राज के बाद सत्ता में आने के बाद, नीतीश कुमार ने जनता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए राज्य में एक नया इतिहास लिखा। उनके पांच साल के प्रशासन ने जनता का भरोसा जीत लिया, जिसका नतीजा 2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली अभूतपूर्व जीत के रूप में सामने आया। इस चुनाव में एनडीए ने कुल 243 सीटों में से 206 सीटें हासिल कर बिहार की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल दी।

इस विधानसभा में एनडीए की सीटों की संख्या पिछली बार से 63 ज्यादा थी। भाजपा को 36 और जदयू को 27 सीटों का फायदा हुआ। वहीं, राजद और कांग्रेस को इस चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी। राजद के खाते में केवल 22 सीटें रहीं, जो पिछली बार की तुलना में 32 सीटों की कमी थी। कांग्रेस की स्थिति इससे भी गंभीर रही, क्योंकि उसे सिर्फ चार सीटें मिलीं, जो उसके इतिहास की सबसे खराब प्रदर्शन थी।

इस चुनाव से पहले ही 2009 के लोकसभा चुनाव ने एनडीए की ताकत को बखूबी दर्शाया था। तब जदयू ने 20 और भाजपा ने 12 सीटें जीती थीं। जबकि राजद और कांग्रेस क्रमशः 22 और दो सीटों पर सिमट गए थे। लोकसभा चुनाव में मिली सफलता ने एनडीए के लिए विधानसभा चुनाव में रास्ता साफ कर दिया, जहां एनडीए ने लोकसभा चुनाव की तुलना में भी बेहतर प्रदर्शन किया।

नीतीश कुमार के कामों ने बढ़ाई एनडीए की लोकप्रियता

एनडीए की इस जीत के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व, सुशासन और विकास की स्पष्ट योजना का बड़ा हाथ था। कानून-व्यवस्था की सख्ती और अपराध पर नियंत्रण ने जनता का विश्वास बढ़ाया। अब लोग रात में भी खुलकर बाहर निकलने लगे थे, और बड़े अपराधी गिरफ्तार होने लगे थे। इससे न केवल राज्य की जनता बल्कि बाहर के लोगों की भी नजर में बिहार की छवि सुधरी।

साइकिल योजना ने बदली लड़कियों की तस्वीर

नीतीश कुमार ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू कीं। खासकर नौवीं कक्षा की लड़कियों को साइकिल देने वाली योजना ने शिक्षा में क्रांति ला दी। इससे दूर-दराज के इलाकों में पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या में कमी आई। इस योजना ने न केवल बिहार में बल्कि विदेशों में भी सकारात्मक चर्चा पाई। इसके साथ ही बालिका पोशाक योजना ने भी ग्रामीण इलाकों में लोकप्रियता हासिल की।

परिसीमन के बाद पहला विधानसभा चुनाव

2010 में बिहार में परिसीमन के बाद पहला विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें कुल 243 सीटों पर मतदान हुआ। इसमें अनुसूचित जनजाति के लिए दो सीटें पहली बार आरक्षित की गईं। जदयू और भाजपा ने मिलकर 39 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए। राजद पिछड़ गया और उसकी स्थिति कमजोर हुई। कुल 3523 उम्मीदवार मैदान में उतरे, जिनमें से 243 ने जीत दर्ज की।

महिलाओं और युवाओं को मिला नया अवसर

इस चुनाव में 307 महिला उम्मीदवार शामिल थीं, जिनमें से 34 सफल हुए। वहीं युवाओं के लिए नियमित भर्ती परीक्षाओं की शुरुआत ने रोजगार की उम्मीदें जगाईं। ग्रामीण महिलाओं के लिए ‘जीविका योजना’ ने भी रोजगार के नए रास्ते खोले। 2006 में शुरू हुई कब्रिस्तान घेराबंदी और कल्याणकारी योजनाओं ने सांप्रदायिक तनाव कम करने में मदद की, जिससे सभी वर्गों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में विकास का समर्थन किया।