_1245371075.png)
Up Kiran, Digital Desk: जिस भारत में कभी बैंक तक पहुंचने के लिए लोग मीलों पैदल चलते थे वहीं आज गांव-गांव के लोग मोबाइल पर एक क्लिक में पैसे भेज रहे हैं। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI ने 2025 में एक ऐसा इतिहास रच दिया है जिसने दुनिया को दिखा दिया कि टेक्नोलॉजी अगर सही हाथों में पहुंचे तो आम आदमी भी बदलाव की कहानी लिख सकता है।
मई-जून 2025 में भारत में हर दिन औसतन 64 से 65 करोड़ पेमेंट UPI से हुए यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि इसने मशहूर इंटरनेशनल नेटवर्क वीजा को भी पछाड़ दिया। सोचिए जिसे कभी सिर्फ डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करना ‘हाई-फाई’ माना जाता था वही काम अब गांव के किसान से लेकर शहर के छात्र तक बिना कार्ड बिना कैश के आराम से कर रहा है।
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इसका जिक्र करते हुए बताया कि कैसे पिछले 9 साल में भारत की यह तकनीक वीजा जैसी दिग्गज कंपनी से भी आगे निकल गई। मई के महीने में ही करीब 25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार UPI के जरिए हुआ यह अपने आप में छोटे दुकानदारों स्टार्टअप्स और लोकल मार्केट के लिए गेमचेंजर साबित हो रहा है।
अगर आप देखेंगे तो यह बदलाव सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहा। IMF की एक रिपोर्ट के मुताबिक UPI ने छोटे शहरों और दूर-दराज के इलाकों में भी पैसों के लेनदेन को आसान बना दिया है। पहले जहां ₹10 खर्च करने के लिए भी जेब में छुट्टे पैसे खोजने पड़ते थे अब वही काम मोबाइल से झटपट हो जाता है न कोई सर्विस चार्ज न कार्ड स्वाइप करने की झंझट।
बड़ी बात यह है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार मिली है। मई 2025 में सिर्फ UPI से जितना लेनदेन हुआ वह भारत की GDP का लगभग 10 फीसदी बैठता है। इससे छोटे व्यापारी फ्रीलांसर और नए स्टार्टअप्स को तुरंत भुगतान मिल रहा है जिससे बिजनेस में कैश फ्लो बेहतर हो गया है।
यही नहीं भारत ने UPI को सिर्फ अपनी सीमाओं तक ही नहीं रखा। आज यह पेमेंट सिस्टम भूटान नेपाल यूएई और फ्रांस समेत सात देशों में भी चल रहा है। NPCI का लक्ष्य है कि 2029 तक इसे 20 देशों में ले जाया जाए ताकि भारतीय प्रवासी भी अपनी जरूरतों के लिए इसी भरोसेमंद सिस्टम का इस्तेमाल कर सकें।
--Advertisement--