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Up Kiran, Digital Desk: आईपीएल की रंगारंग रफ्तार थमती है और अब वक्त है उस पारंपरिक चुनौती का टेस्ट क्रिकेट की। भारतीय क्रिकेट टीम को जल्द ही इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की एक लंबी और थकाऊ टेस्ट सीरीज़ के लिए मैदान में उतरना है। और इस बार ड्रेसिंग रूम में एक ऐसा चेहरा फिर से दिखाई देगा जो खिलाड़ियों के भीतर जोश और अनुशासन का संचार करता है टी. दिलीप।
टी. दिलीप भारतीय टीम के फील्डिंग कोच वो नाम जो गेंद के पीछे दौड़ते खिलाड़ियों की फुर्ती और स्लिप में झपटते हाथों के पीछे की छाया रहा है। उनका कॉन्ट्रैक्ट कुछ समय पहले खत्म हो गया था और उन्होंने टीम से विदाई ले ली थी। मगर अब जैसे कोई पुराना दोस्त मुश्किल वक्त में लौटता है वैसे ही दिलीप एक बार फिर टीम इंडिया के साथ जुड़ गए हैं। इस बार पूरे एक साल के लिए।
मगर ये वापसी महज़ एक औपचारिक फैसला नहीं थी इसके पीछे था कप्तान रोहित शर्मा का विश्वास
क्रिकबज़ की रिपोर्ट बताती है कि रोहित शर्मा ने खुद बीसीसीआई और हेड कोच गौतम गंभीर से निजी तौर पर बात की और टी. दिलीप के लिए सिफारिश की। यह उस भरोसे का सबूत था जो एक कप्तान अपने साथी पर करता है ऐसा साथी जो मैदान के बाहर रहकर भी मैच के हर पल में मौजूद होता है। दिलीप को अप्रैल में टीम से बाहर कर दिया गया था जब अभिषेक नायर के साथ कुछ बदलाव किए गए। मगर इस फैसले से खिलाड़ी निराश थे क्योंकि दिलीप सिर्फ कोच नहीं ड्रेसिंग रूम की ऊर्जा का हिस्सा थे।
रोहित जानते थे कि इंग्लैंड की कड़क सर्दी और वहां की तेज़ पिचों पर टेस्ट मैच जीतने के लिए न केवल अच्छी बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी चाहिए बल्कि बेमिसाल फील्डिंग भी जरूरी है। स्लिप गली और शॉर्ट लेग जैसे क्षेत्र जहां पलक झपकते ही कैच छूट सकता है वहां दिलीप की ट्रेनिंग और दृष्टि सोने की कीमत रखती है।
टी. दिलीप कोई साधारण कोच नहीं हैं। पिछले तीन वर्षों से वो टीम इंडिया के हर उतार-चढ़ाव के साथी रहे हैं। 2021 में जब उन्होंने टीम से जुड़ना शुरू किया तो उनके साथ आया एक नया कल्चर बेस्ट फील्डर अवॉर्ड का कांसेप्ट। हर मैच के बाद ड्रेसिंग रूम में वह पल जब कोई खिलाड़ी ट्रॉफी उठाता और पूरी टीम तालियों से गूंज उठती ये सिर्फ एक इनाम नहीं था ये एक आदत बना दी गई बेहतर फील्डिंग की।
आज टीम इंडिया की फील्डिंग दुनिया के किसी भी टॉप स्तर की टीम से मुकाबला करती है। इसमें दिलीप का योगदान छिपा नहीं है। वो मैदान पर खामोश रहते हैं मगर उनके कैमरे की नजरें हर कैच हर रन-आउट और हर डाइव को दर्ज करती हैं। और फिर वीडियो एनालिसिस में वो छोटी-छोटी तकनीकी बारीकियों को खिलाड़ी के सामने इस तरह रखते हैं जैसे कोई कलाकार अपने कैनवास पर रंग भर रहा हो।
इंग्लैंड दौरे से पहले उनकी वापसी दरअसल मानसिक तैयारी का एक अहम हिस्सा है। जब खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में दिलीप को देखेंगे तो उन्हें सिर्फ कोच नहीं एक भरोसेमंद साथी एक प्रेरक लीडर और एक परछाईं नज़र आएगी जो हर फिसलती कैच के पहले पुकारेगा "डाइव!"
इस टेस्ट सीरीज में भारत को हर रन के लिए संघर्ष करना होगा और हर कैच मायने रखेगा। ऐसे में टी. दिलीप की वापसी न सिर्फ एक कोच की वापसी है बल्कि एक ऐसे सूत्रधार की वापसी है जो टीम के अदृश्य धागों को एकजुट रखता है।
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