
Up Kiran, Digital Desk: हर साल 2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए बहुत ख़ास होता है। यह दिन है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन, जिसे हम सब गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधीजी को हम प्यार से 'बापू' भी कहते हैं। वह सिर्फ एक महान नेता ही नहीं, बल्कि एक ऐसा विचार थे जिन्होंने पूरी दुनिया को शांति और सादगी का पाठ पढ़ाया। इस साल हम बापू की 156वीं जयंती मना रहे हैं, और आज भी उनके विचार उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने पहले थे।
गांधीजी की विरासत: सत्य और अहिंसा की ताकत
गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने भारत की आजादी की लड़ाई एक अनोखे तरीके से लड़ी। उन्होंने किसी हथियार या हिंसा का सहारा नहीं लिया, बल्कि 'सत्य' और 'अहिंसा' को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया। उनके 'सत्याग्रह' (सत्य के लिए आग्रह) ने लाखों भारतीयों को एक साथ जोड़ा और दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों में से एक को झुका दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे उनके आंदोलनों ने भारत की आजादी की नींव रखी।
गांधीजी का जीवन सादगी का एक बेहतरीन उदाहरण था। वे कहते थे, "पहले खुद वो बदलाव बनो, जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।" यह एक छोटी सी बात हमें सिखाती है कि अगर हम समाज में कुछ अच्छा करना चाहते हैं, तो उसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी।
भारत से लेकर पूरी दुनिया तक सम्मान
गांधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है, जो हमें हमेशा उनकी याद दिलाता है। इस दिन देश भर में विशेष कार्यक्रम होते हैं। नई दिल्ली में उनकी समाधि 'राज घाट' पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है और प्रार्थना सभाएं होती हैं।
गांधीजी के विचार सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रहे। दुनिया भर के कई बड़े नेताओं जैसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला ने भी उनके दिखाए शांति और अहिंसा के रास्ते से प्रेरणा ली। इसी कारण, संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' (International Day of Non-Violence) के रूप में घोषित किया है, जो गांधीजी के विचारों का वैश्विक सम्मान है।
यह दिन हमें बापू के जीवन और उनके सरल लेकिन शक्तिशाली विचारों को याद करने का अवसर देता है। यह दिन हमें सिखाता है कि शांति और सच्चाई का रास्ता हर मुश्किल को पार कर सकता है।