_1144421522.jpg)
Up Kiran, Digital Desk: आज की युवा पीढ़ी, जिसे 'जनरेशन Z' या 'जेन Z' के नाम से जाना जाता है, अब 'हसल कल्चर' यानी लगातार काम करते रहने और खुद को हद से ज़्यादा धकेलने की संस्कृति को खुलकर नकार रही है। यह सिर्फ एक नया चलन नहीं, बल्कि काम और जीवन के प्रति एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
'हसल कल्चर' एक ऐसी मानसिकता है जहाँ व्यक्तिगत जीवन, स्वास्थ्य और खुशी को किनारे रखकर सिर्फ और सिर्फ पेशेवर उपलब्धियों और उत्पादकता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसमें अक्सर घंटों काम करना, छुट्टी न लेना और लगातार 'आगे बढ़ने' के दबाव में रहना शामिल होता है।
जेन Z इसे क्यों नकार रहा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि जेन Z ने अपने पूर्ववर्ती, 'मिलेनियल्स' (सहस्राब्दियों) को इस कल्चर के कारण तनाव, बर्नआउट और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते देखा है। वे मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कल्याण को सर्वोपरि मानते हैं। उनके लिए काम सिर्फ पैसा कमाने का साधन नहीं, बल्कि जीवन का एक हिस्सा है, और वे इसे अपनी पहचान या पूरी ज़िंदगी नहीं मानते।
वे समझते हैं कि स्वस्थ दिमाग और शरीर ही दीर्घकालिक सफलता की कुंजी है। वे ऐसी नौकरी और कार्य वातावरण को प्राथमिकता देते हैं जो उन्हें अपने जीवन के अन्य पहलुओं, जैसे परिवार, दोस्त, शौक और आत्म-देखभाल के लिए भी समय दें।
मिलेनियल्स जेन Z से क्या सीख सकते हैं?
सीमाएँ तय करें: काम और निजी जीवन के बीच स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित करना सीखें। 'हमेशा उपलब्ध' रहने की मानसिकता से बचें और काम के घंटों के बाद ईमेल या कॉल का जवाब देने से बचें।
आत्म-देखभाल को प्राथमिकता दें: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए समय निकालना अनिवार्य है। यह उत्पादकता को बढ़ाता है, कम नहीं करता। पर्याप्त नींद लें, व्यायाम करें और शौक पूरे करें।
'ना' कहना सीखें: अनावश्यक जिम्मेदारियों या अपेक्षाओं को मना करने में कोई बुराई नहीं है, खासकर अगर वे आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हों। अपनी क्षमताओं और सीमाओं को जानें।
गुणवत्ता पर ध्यान दें, घंटों पर नहीं: घंटों काम करने के बजाय, अपने काम की गुणवत्ता और प्रभाव पर ध्यान दें। स्मार्ट काम करना, न कि सिर्फ हार्ड काम करना, महत्वपूर्ण है।
वास्तविक अपेक्षाएँ रखें: खुद से अवास्तविक अपेक्षाएँ न रखें। हर कोई हर समय चरम उत्पादकता पर नहीं रह सकता। उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा हैं।
जेन Z का यह रुख सिर्फ कामचोरी नहीं, बल्कि काम के एक अधिक टिकाऊ और मानवीय दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है। यह एक ऐसा बदलाव है जहाँ व्यक्ति का समग्र कल्याण (holistic well-being) सिर्फ एक फैंसी शब्द नहीं, बल्कि एक अनिवार्य शर्त बन जाता है। इस बदलाव को अपनाकर, हम सभी एक स्वस्थ, संतुलित और अधिक संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।
--Advertisement--