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घोसी उप चुनाव में मिली जीत में ही अखिलेश यादव को 2024 चुनाव के लिए जीत का मंत्र भी मिल गया है। ये कितना असरदार होगा ये तो आगे पता चलेगा पर हालिया जीत से सपा आत्मविश्वास में दिखती है और उसे भरोसा है कि दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक पीडीए संग सवर्णों को भी साधा जा सकता है। भले ही पार्टी में विवादित मुद्दों पर असहज करने वाले स्वर उभरते हों।

बताया जा रहा कि पूर्व ही नहीं पश्चिम में भी सपा अपने इंण्डिया गठबंधन के जरिए इसे आजमाएगी। पता चला कि पार्टी इस बाबत रोड मैप भी तैयार कर रही है। बात करें पूर्वांचल की 32 लोकसभा सीटों में से 25 लोकसभा सीटों पर ओबीसी, दलित, मुस्लिम के साथ साथ सवर्ण वोटों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

खासतौर पर इन सीटों पर ब्राह्मण वोटर भी अच्छी संख्या में हैं। ये सीटें घोसी, सलेमपुर, बलिया, संत कबीर नगर, आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, फूलपुर, इलाहाबाद और प्रतापगढ़। कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, बांसगांव, फैजाबाद, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज, महाराजगंज, अंबेडकर नगर बस्ती हैं।

अब चूंकि एनडीए गठबंधन में रालोद, अपना दल के अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी भी शामिल है। यूपीए संस्मरण वाली छवि गढ़ते हैं। पश्चिमी उप्र की 27 सीटों में गठबंधन को खासी उम्मीद है। इनमें 22 सीटों पर जाट, गुर्जर, दलित खासतौर पर जाटव और मुस्लिम प्रभावी स्थिति में हैं। अन्य जातियों की भी यहां मौजूदगी है। यहां भी नए समीकरण के सफल होने को लेकर सपा उम्मीद लगाए बैठी है। अभी सीट नहीं बांटी है, मगर सीट बटवारे में इस फॉर्मूले की छाप जरूर दिख सकती है। 

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