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gold collection: किसी देश के रिजर्व बैंक में जितना अधिक सोना होगा, वह देश उतना ही अमीर होगा तथा किसी भी संकट का सामना करने में उतना ही सक्षम होगा। जैसे ही दुनिया पर कोई संकट आता है, शेयर बाजार के दिग्गज भी अपना पैसा निकालकर सोने में निवेश कर देते हैं। इतना ही नहीं कई देश अपने स्वर्ण भंडार में भी वृद्धि कर रहे हैं। ऐसा समय अभी दुनिया पर आ गया है। इसीलिए सभी देशों के रिजर्व बैंक अपने स्वर्ण भंडार को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
अब उभरता संकट ट्रम्प का टैरिफ युद्ध है। विशेषज्ञों के अनुसार यह संकट इतना गंभीर होगा कि कोरोना के बाद दुनिया में पहले से ही उच्च मुद्रास्फीति के और अधिक बढ़ने की संभावना है। कोलंबस ने 500 वर्ष पहले कहा था कि जिसके पास सोने का खजाना होगा, वो दुनिया में जो चाहे बना सकता है। दुनिया भर के देश अब यह सुविधा प्रदान करने लगे हैं। कोरोना काल के बाद दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में सोना खरीदने के प्रति रुझान बढ़ा है। पिछले तीन वर्षों में रिजर्व बैंक द्वारा खरीदा गया सोना 1,000 टन से अधिक है।
2024 में दुनिया भर के बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा। 2023 में यह आँकड़ा 1,037 टन होगा। 2022 में इन बैंकों ने रिकॉर्ड तोड़ 1,136 टन सोना खरीदा। अकेले आरबीआई ने 2024 में 72.6 टन सोना खरीदा। पोलिश बैंक ने सबसे अधिक 90 टन सोना खरीदा है। दिसंबर 2024 में आरबीआई के पास 876.18 टन सोना होगा। जिसकी कीमत 66.2 बिलियन डॉलर थी।
क्यों बढ़ी है सोने की मांग
सोने की कीमतें दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। इसके पीछे कई भू-राजनीतिक कारण हैं। ट्रम्प की वापसी, ट्रम्प की अस्थिर व्यापार नीतियों, व्यापार हथियार के रूप में टैरिफ का उपयोग, हमास-इज़राइल युद्ध, यूक्रेन-रूस युद्ध और महामारी के डर के कारण कई देशों के बैंक सोना जमा कर रहे हैं। 2025 आने में 40 दिन बीत चुके हैं। इस दौरान भी सोने की मांग में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।