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Up Kiran, Digital Desk: गोल्फ की बात आती है, तो भारत की उम्मीदें अब नई पीढ़ी के कंधों पर हैं, और उस पीढ़ी का एक सबसे चमकता सितारा हैं दीक्षा डागर। हरियाणा की यह 23 वर्षीय जांबाज गोल्फर इस हफ्ते होने वाले हीरो महिला इंडियन ओपन में भारतीय चुनौती की अगुवाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित महिला गोल्फ टूर्नामेंट है, और इस बार सबकी निगाहें दीक्षा पर टिकी हैं।

कौन हैं दीक्षा डागर: दीक्षा की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। वह जन्म से ही सुनने में अक्षम हैं और हियरिंग ऐड (hearing aid) की मदद से सुनती हैं। लेकिन उन्होंने अपनी इस चुनौती को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। बाएं हाथ से खेलने वाली दीक्षा, दुनिया की टॉप महिला गोल्फर में से एक हैं और लेडीज यूरोपियन टूर (LET) पर दो खिताब जीतने का कारनामा भी कर चुकी हैं। उनकी हिम्मत और उनका खेल, दोनों ही बेमिसाल हैं।

घर पर खिताब जीतने का सुनहरा मौका

हीरो महिला इंडियन ओपन, लेडीज यूरोपियन टूर का ही एक हिस्सा है, और इसका आयोजन गुरुग्राम के DLF गोल्फ एंड कंट्री क्लब में हो रहा है। 400,000 अमेरिकी डॉलर की इनामी राशि वाले इस टूर्नामेंट में दुनिया भर की टॉप खिलाड़ी हिस्सा ले रही हैं।

ऐसे में, अपने घरेलू मैदान पर खेलने का फायदा दीक्षा और अन्य भारतीय खिलाड़ियों को मिल सकता है। दीक्षा वर्तमान में भारतीय खिलाड़ियों में सर्वोच्च रैंक पर हैं और उनकी फॉर्म भी शानदार चल रही है।

अकेली नहीं हैं दीक्षा: दीक्षा इस लड़ाई में अकेली नहीं होंगी। उनके साथ भारतीय चुनौती को मजबूत करने के लिए त्वेसा मलिक, प्रणवी उर्स और अवनी प्रशांत जैसी अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी होंगी। त्वेसा मलिक भी LET पर खेल चुकी हैं और उनसे भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

दिलचस्प होगा कि क्या दीक्षा डागर अपने घर में, अपने लोगों के सामने खिताब जीतकर एक नया इतिहास रच पाती हैं या नहीं। लेकिन एक बात तो तय है, उनकी कहानी हर उस इंसान के लिए एक मिसाल है जो मुश्किलों के आगे घुटने टेकने से इनकार कर देता है।