_159867132.png)
Up Kiran , Digital Desk: उत्तराखंड के गांवों में सियासी हलचल तेज होने वाली है! हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल बीते वर्ष समाप्त होने के बाद से ही चुनावों का इंतजार था। अब ऐसा लग रहा है कि यह इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है। संभावना जताई जा रही है कि जून के महीने में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं। और इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा – अब तीन बच्चों वाले लोग भी चुनावी मैदान में ताल ठोक सकेंगे!
जी हां आपने सही सुना! राज्य सरकार ने पंचायती राज एक्ट में महत्वपूर्ण संशोधन किया है जिसकी कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 निर्धारित की गई है। इस संबंध में सरकार ने आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी है जिससे यह साफ हो गया है कि अब तीन बच्चे होने पर भी पंचायत चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाएगा।
दरअसल पहले पंचायतीराज अधिनियम में यह प्रावधान था कि 27 सितंबर 2019 के बाद जिन व्यक्तियों की दो से अधिक संतान होंगी वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले सकेंगे। इस नियम के लागू होने के बाद कई लोगों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय ने इस मामले में जुड़वा संतानों को एक इकाई मानने का आदेश दिया था। इसके बाद शासन ने भी इस संबंध में आदेश जारी किए थे लेकिन उसमें कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 अंकित होने के कारण एक विरोधाभासी स्थिति बन गई थी।
इसी विरोधाभास को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने पंचायती राज एक्ट में संशोधन करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संशोधन को मंजूरी दी और "उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025" को राज्यपाल की स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा गया।
अब राज्यपाल ने भी "उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025" पर अपनी मुहर लगा दी है। इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार ने इस संबंध में विधिवत अधिसूचना भी जारी कर दी है। इस अधिसूचना के जारी होने के साथ ही उत्तराखंड राज्य में उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) एक्ट प्रभावी हो गया है।
इस नए एक्ट के लागू होने के बाद अब वे लोग भी पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे जिनके 25 जुलाई 2019 से पहले दो से अधिक बच्चे हैं। हालांकि 25 जुलाई 2019 या उसके बाद जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं वे चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं होंगे। लेकिन यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि 25 जुलाई 2019 या उसके बाद किसी दंपत्ति को जुड़वा बच्चे हुए हैं जिसके कारण उनके बच्चों की संख्या तीन हो गई है तो भी वे चुनाव लड़ सकेंगे। क्योंकि नए नियम के अनुसार जुड़वा बच्चों को एक ही संतान माना जाएगा।
तो उत्तराखंड के गांवों में पंचायत चुनावों की तैयारी कर रहे साथियों यह खबर आपके लिए निश्चित रूप से उत्साहित करने वाली होगी!
अब क्षेत्र की जनता इस जनसांख्यिकी परिवर्तन और जमीनों को गलत तरीके से अपने नाम कराने के मुद्दे पर सक्रिय हो गई है। ग्रामीण मुखर होकर अपनी आवाज उठा रहे हैं और जगह-जगह बैठकों का दौर जारी है। उनकी मुख्य मांग है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो अवैध रूप से कब्जाई गई जमीनों को खाली कराया जाए और इन जमीनों से संबंधित बनाए गए दस्तावेजों को तत्काल निरस्त किया जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि एक महीने के भीतर उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो वे एक बड़ा जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
रूद्र सेना के संस्थापक राकेश तोमर ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार गलत तरीके से दर्ज हुई जमीनों और तैयार किए गए दस्तावेजों को लेकर क्या कार्रवाई करती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने इन दस्तावेजों को तैयार करने में भूमिका निभाई यह देखना भी दिलचस्प होगा। क्षेत्र में बढ़ते तनाव और ग्रामीणों की सक्रियता को देखते हुए यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है।
इस मामले में पहले ही आशंका के आधार पर कविता के भाई दीपक लक्षकार टोंक निवासी ओमप्रकाश गुर्जर जालौर निवासी गणपत विश्नोई जयपुर निवासी राम रतन टोंक के रामचंद्र मीणा और जयपुर के पुरुषोत्तम लखेरा को आरोपी बनाया जा चुका है। एसओजी की गहन जांच में मोबाइल चैट और बैंक लेनदेन की पड़ताल से पूरे पेपर लीक नेटवर्क का खुलासा हुआ है।
--Advertisement--