
Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025 केवल एक अवसर मात्र नहीं है, बल्कि यह भारत की समृद्ध वस्त्र विरासत और इस परंपरा को जीवित रखने वाले कुशल कारीगरों को एक हार्दिक श्रद्धांजलि है। प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को मनाया जाने वाला यह दिन 1905 के स्वदेशी आंदोलन से जुड़ा है, जब भारतीयों ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्थानीय शिल्प कौशल को पुनर्जीवित करने के लिए एकजुटता दिखाई थी।
अब अपने 11वें वर्ष में, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन वस्त्र मंत्रालय द्वारा किया जाता है और इसे पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष के प्रमुख कार्यक्रम नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होंगे, जिसका आधिकारिक विषय है: "हथकरघा - महिला सशक्तीकरण, राष्ट्र सशक्तीकरण"। यह विषय महिलाओं के अमूल्य योगदान को मान्यता देता है, जो भारत के हथकरघा कार्यबल का 70% से अधिक हिस्सा हैं। अपनी कलात्मकता के माध्यम से, वे न केवल सांस्कृतिक डिजाइनों को संरक्षित करती हैं, बल्कि अपनी आजीविका भी चलाती हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूक, टिकाऊ फैशन के बढ़ते आंदोलन को भी बढ़ावा देती हैं।
हम हथकरघा दिवस क्यों मनाते: यह दिन आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हथकरघा केवल कपड़े नहीं हैं, बल्कि ये पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा, क्षेत्रीय पहचान और लचीलेपन के प्रतीक हैं।
एक यादगार संदेश सार्वजनिक समारोहों और स्कूली कार्यक्रमों में दिए जाने वाले भाषण
“हथकरघा को चुनकर, हम केवल फैशन को नहीं अपना रहे हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन कर रहे हैं, महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं और अपनी विरासत का पोषण कर रहे हैं। हर धागा एक कहानी कहता है, और हर बुनाई एक जीवन का समर्थन करती है।”
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