img

Up Kiran, Digital Desk: हिमाचल प्रदेश की ऊंची और बर्फीली घाटियों से एक ऐसी खबर आई है, जिसने पूरी दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। यहाँ के आदिवासी इलाकों में रहने वाले दुर्लभ और रहस्यमयी हिम तेंदुए (Snow Leopards), जिन्हें 'पहाड़ों का भूत' भी कहा जाता है, की आबादी में पिछले चार सालों में 62 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

51 से बढ़कर 83 हुई संख्या: राज्य के वन विभाग के वन्यजीव विंग द्वारा जारी किए गए नए सर्वे के मुताबिक, अब हिमाचल के पहाड़ों में हिम तेंदुओं की संख्या बढ़कर 83 हो गई है। यह आंकड़ा इसलिए भी खास है क्योंकि 2021 में हुए सर्वे में यह संख्या सिर्फ 51 थी। यह दिखाता है कि इन खूबसूरत जीवों के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास सही दिशा में हैं और सफल हो रहे हैं।

यह सर्वे गुरुवार को वन्यजीव सप्ताह (2 से 8 अक्टूबर) के पहले दिन जारी किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस गिनती में शावकों (cubs) को शामिल नहीं किया गया है।

कैसे हुई इन 'भूतों' की गिनती: यह सर्वे पिछले एक साल में 26,000 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कैमरा ट्रैपिंग अभ्यास के जरिए किया गया। हिम तेंदुओं और उनके ठिकानों का पता लाहौल-स्पीति, किन्नौर और पांगी घाटी के आदिवासी क्षेत्रों में लगा है। हैरानी की बात यह है कि ये तेंदुए अब अपने पारंपरिक संरक्षित क्षेत्रों (जैसे किब्बर वन्यजीव अभयारण्य और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क) से बाहर भी देखे जा रहे हैं, जो उनके रहने के लिए नए इलाके बनाने का एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।

स्थानीय लोगों के साथ ने किया कमाल: इस सर्वे की सबसे बड़ी सफलता का श्रेय स्थानीय समुदायों को जाता है। स्पीति के किब्बर गांव के स्थानीय युवाओं और महिलाओं ने कैमरा ट्रैप लगाने और डेटा का विश्लेषण करने में बढ़-चढ़कर मदद की। उनके इस सहयोग के कारण ही यह विशाल सर्वे सिर्फ एक साल में पूरा हो सका, जबकि 2021 में इसी काम में तीन साल लग गए थे। यह साबित करता है कि जब स्थानीय लोग संरक्षण से जुड़ते हैं, तो परिणाम अद्भुत होते हैं।

और भी मिले छिपे हुए खजाने: हिम तेंदुए के अलावा, इस सर्वे ने हिमाचल की समृद्ध जैव विविधता के कुछ और रहस्य भी खोले। किन्नौर में पहली बार आधिकारिक तौर पर पल्लास कैट (Pallas's cat) को देखा गया और लाहौल में दशकों बाद वूली फ्लाइंग स्क्विरल (woolly flying squirrel) को फिर से खोजा गया।

यह सर्वे न केवल हिम तेंदुओं के बढ़ते कुनबे की खुशखबरी है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे सरकार और स्थानीय समुदाय मिलकर अपनी अनमोल प्राकृतिक विरासत को बचा सकते हैं।