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Up Kiran, Digital Desk: गूगल के डेटा सेंटरों द्वारा खपत की जाने वाली ऊर्जा में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग के कारण गूगल के डेटा सेंटरों की ऊर्जा खपत दोगुनी हो गई है, जिससे कंपनी के महत्वाकांक्षी 'कार्बन-फ्री' लक्ष्यों को प्राप्त करने में चुनौती आ गई है।

एआई टेक्नोलॉजी, विशेष रूप से बड़े भाषा मॉडल (LLMs) के प्रशिक्षण और संचालन के लिए विशाल कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है। यह कंप्यूटिंग शक्ति भारी मात्रा में ऊर्जा का उपभोग करती है। गूगल, जो एआई विकास में सबसे आगे है, अपने डेटा सेंटरों में इस बढ़ती ऊर्जा मांग का सीधा अनुभव कर रहा है।

गूगल ने 2030 तक अपने सभी डेटा सेंटरों और कैंपसों को 24/7 कार्बन-फ्री ऊर्जा पर चलाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य एक सराहनीय पहल थी, लेकिन एआई के अप्रत्याशित ऊर्जा-गहन स्वभाव ने इस लक्ष्य को मुश्किल बना दिया है।

 रिपोर्ट बताती है कि एआई-संचालित सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ, गूगल को ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक जीवाश्म ईंधन-आधारित बिजली स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ सकता है, जिससे उसके हरित लक्ष्यों से समझौता हो सकता है। यह एक ऐसा विरोधाभास है जहाँ तकनीकी प्रगति पर्यावरण संबंधी स्थिरता के साथ सीधे टकरा रही है।

यह केवल गूगल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे टेक उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है। जैसे-जैसे एआई का विस्तार होता है, ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कंपनियों को एआई के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए नए समाधान खोजने होंगे।

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