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Uttarakhand wildlife: उत्तराखंड में 53,483 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में छह नेशनल पार्क, सात वन्य जीव विहार और एक जैव आरक्षित क्षेत्र हैं, जिसमें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व भी शामिल है। ये क्षेत्र वन्यजीवों की प्रजातियों के लिए अहम है, मगर यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्कर इस क्षेत्र को अपनी तस्करी के लिए आकर्षक मानते हैं। नेपाल से जुड़े रास्तों से तस्करी का खतरा बढ़ गया है।

हाल ही में हरिद्वार वन प्रभाग ने मॉनिटर लिजर्ड (बड़ी छपकली) के अंगों के साथ एक तस्कर को पकड़ा, जिनका उपयोग जादू-टोना में होता है। दीपावली के दौरान इन अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ जाती है। और तो और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने नैनीताल के एक तस्कर को दो लेपर्ड की खाल के साथ पकड़ा, जिन्हें नेपाल के रास्ते अंतरराष्ट्रीय गिरोह तक पहुंचाया जाना था। STF ने श्यामपुर में तीन अंतरराज्यीय तस्करों को भी अरेस्ट किया, जिनसे दो हाथी दांत बरामद हुए, जो दो साल पुराने मरे हाथियों से निकाले गए थे।

बता दें कि उत्तराखंड के जंगल और वन्यजीव तस्करी से महफूज नहीं हैं, और तस्करों के खिलाफ संघर्ष में वन विभाग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तस्कर अक्सर हथियारों का इस्तेमाल करके वन विभाग के कर्मचारियों को धमकाते हैं और अवैध पेड़ काटने की घटनाएं भी सामने आई हैं। वन्यजीव अंगों की तस्करी मुख्यतः अंतरराष्ट्रीय गिरोह के माध्यम से की जाती है, विशेष रूप से चीन में इन अंगों की उच्च मांग होती है।

वन्यजीवों के अंग केवल तंत्र-मंत्र में ही नहीं, बल्कि दवाइयों और कॉस्मेटिक उत्पादों में भी इस्तेमाल होते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं। उत्तराखंड के वन मंत्री के अनुसार, राज्य का विशाल वन क्षेत्र पूरी तरह से निगरानी में रखना मुश्किल है, जो तस्करी के प्रयासों को बढ़ावा देता है।

 

 

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