
Up Kiran, Digital Desk: गुजरात का केसर आम, जिसे 'आमों की रानी' भी कहा जाता है, अब सिर्फ भारत की मिठास नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है। पिछले पांच वर्षों में, गुजरात ने आम के निर्यात में एक प्रभावशाली मील का पत्थर हासिल किया है, 3,000 मीट्रिक टन से अधिक आमों को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया है, और इस सफलता के केंद्र में केसर आम की जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय मांग है।
2019-20 से 2023-24 तक, गुजरात से कुल 3,007.41 मीट्रिक टन आमों का निर्यात किया गया। यह आंकड़ा केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि भारतीय कृषि की बढ़ती क्षमता और वैश्विक कृषि-निर्यात परिदृश्य में इसके बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। यह दर्शाता है कि भारत अपने कृषि उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है।
केसर आम की सफलता इसकी अनूठी विशेषताओं में निहित है: इसका स्वर्णिम केसरिया रंग, मनमोहक सुगंध और अविस्मरणीय मीठा स्वाद। यह किस्म इतनी लोकप्रिय हुई है कि यह भारतीय आमों का पर्याय बन गई है, विशेषकर उन अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं के लिए जो गुणवत्ता और स्वाद को महत्व देते हैं। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के आंकड़े इस बढ़ती लोकप्रियता की गवाही देते हैं।
इस निर्यात सफलता के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें किसानों द्वारा अपनाई गई उन्नत कृषि पद्धतियां, कठोर गुणवत्ता नियंत्रण, और कुशल कटाई के बाद के प्रबंधन शामिल हैं। इसके साथ ही, बेहतर पैकेजिंग और वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों ने भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय आमों की स्वीकार्यता बढ़ाई है।
यह उपलब्धि न केवल गुजरात के किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि ला रही है, बल्कि 'ब्रांड इंडिया' को वैश्विक मंच पर मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह भारतीय कृषि में नवाचार, गुणवत्ता और वैश्विक बाजार की मांगों के प्रति अनुकूलन क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण है।
केसर आम की यह कहानी दर्शाती है कि सही रणनीति और समर्थन के साथ, भारतीय कृषि उत्पाद वास्तव में दुनिया भर में अपनी पहचान बना सकते हैं।
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