धर्म डेस्क। सनातन धर्म में हरियाली अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यतानुसार हरियाली अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हरियाली अमावस्या की तिथि दान-पुण्य और पूजा-पाठ के लिए कारगर मानी जाती है। यह तिथि नवग्रह की शांति के और पितरों के तर्पण के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन सुखमय होता है। हरियाली अमावस्या सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पड़ती है। इस साल हरियाली अमावस्या चार अगस्त रविवार को पड़ रही है।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 3 अगस्त शनिवार को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और समापन चार अगस्त रविवार के दिन शाम को 4 बजकर 42 मिनट पर होगा। इस तरह उदयातिथि के आधार पर हरियाली अमावस्या 4 अगस्त रविवार को होगी। इस बार हरियाली अमावस्या के दिन सिद्धि योग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है।
सावन मास में वर्षा की भीनी भीनी फुहारें पड़ती हैं और धरती पर चारों ओर हरियाली छाई रहती है। प्रकृति का सौंदर्य मोहित करने वाला होता है। इसलिए सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। हरियाली अमावस्या नवग्रह और पितरों की शांति के लिए बहुत उत्तम मानी जाती है। हरियाली अमावस्या पर विशेष पूजा और दान-पुण्य करने से नवग्रहों के नकारात्मक प्रभाव शांत होते हैं।
इस साल हरियाली अमावस्या को पूरे दिन दान का शुभ मुहूर्त रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:20 से लेकर सुबह 05:02 तक है। इस समय स्नान करके विशेष पूजा करें। हरियाली अमावस्या पर आनन, वस्त्र एवं फल आदि का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन आप पूर्वजों की स्मृति में पौधे लगा सकते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।
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