img

Up Kiran, Digital Desk: उत्तरकाशी के डुंडा इलाके में बुधवार सुबह एक बड़ी कार्रवाई हुई, जिससे हर्बल वनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। डुंडा पुलिस ने प्रतिबंधित 'काजल कांठ' लकड़ी की 597 नग के साथ दो लोगों को हिरासत में लिया। यह दुर्लभ लकड़ी हाई हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग है।

देहरादून-सहारनपुर जा रही थी कीमती खेप, जंगलों से हो रही थी अवैध कटाई

पुलिस टीम, जिसमें चौकी प्रभारी प्रकाश राणा भी शामिल थे, ने तड़के 6:30 बजे डुंडा बैरियर पर एक वाहन की तलाशी ली। वाहन में बैठे दो व्यक्ति – गोपाल और विजय – के पास से भारी मात्रा में 'काजल कांठ' की लकड़ी बरामद हुई। पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह लकड़ी गंगोरी और अगोडा क्षेत्र के आरक्षित जंगलों से काटी गई थी, जिसे देहरादून और सहारनपुर भेजा जा रहा था।

कौन हैं आरोपी और कहां से आए?

गिरफ्तार किए गए लोगों में गोपाल बोहरा, नेपाल के कंचनपुर जिले के डोली गांव का रहने वाला है, जो वर्तमान में त्यूणी देहरादून में रह रहा था। दूसरा आरोपी विजय, उत्तरकाशी जिले का निवासी है और वाहन चालक था। दोनों को पुलिस ने लकड़ी के साथ वन विभाग के सुपुर्द कर दिया है, ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।

क्यों है 'काजल कांठ' की इतनी डिमांड?

यह लकड़ी सिर्फ औषधीय गुणों के कारण ही नहीं, बल्कि धार्मिक महत्व के चलते भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। खासकर बौद्ध समुदाय के लोग इससे बर्तन (बाउल) बनाते हैं और इसे भोजन व पेय पदार्थों के लिए उपयोग करते हैं। भारत ही नहीं, चीन, तिब्बत और नेपाल जैसे देशों में भी इसकी तस्करी होती है और ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है।