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एक वक्त ऐसा लग रहा था कि हिजबुल्ला सीधी जंग की धमकी दे रहा है, पर हिजबुल्ला जो अब कर रहा है वो इजलाइल के लिए काफी खतरनाक साबित होने वाला है। आखिर हिजबुल्ला के तरकश में ऐसा क्या है, जो इजरायल जैसी पावर को एक मोर्चे पर टिके रहने पर मजबूर कर रहा है?

सन् 1992 में हसन नसरुल्लाह ने हिजबुल्ला की कमान संभाली थी। तब से लेकर अब तक हिजबुल्ला की ताकत लगातार बढ़ती रही। इसी टेरर पावर की एक तस्वीर सामने आई। उत्तरी इजराइल से जब हिजबुल्ला ने इस्तेमाल की बुरकान मिसाइल। बुरकान एक शॉर्ट रेंज मिसाइल है जिसे ईरान की आईआरजीसी ने विकसित किया था। पर जल्द ही यह मिसाइल पहले इराक और यमन में ईरान समर्थित मिलिशिया के हाथों में नजर आई और अब हिजबुल्ला के इस्तेमाल के बाद मुहर लग गई कि हिजबुल्ला भी इस मिसाइल का इस्तेमाल कर रहा है।

बुरकान की तरह ही हिज्बुल्ला ने एंटी टैंक मिसाइल का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। रूस में बनी कोर्नेट एंटी टैंक मिसाइल के दुनिया में कई खरीददार हैं और इसी वजह से माना जाता है कि ब्लैक मार्केट के जरिए हिजबुल्ला ने इस मिसाइल को हासिल किया।

हिजबुल्ला ने बॉर्डर पर तैनात इजरायली टैंक को कॉर्नेट से निशाना बनाया है। साथ ही साथ इजरायली बॉर्डर आउटपोस्ट पर भी हिजबुल्ला ने कॉर्नेट के जरिए हमले किए हैं। तकरीबन पांच किलोमीटर तक की रेंज वाली यह मिसाइल कंधे से छोड़े जाने वाला सबसे लंबी रेंज का हथियार माना जाता है। 

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