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लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के विलय (मर्जर) के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सही ठहराया है। कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है।

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि स्कूलों का मर्जर बच्चों के भविष्य पर असर डाल सकता है और इससे शिक्षा का स्तर गिर सकता है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने यह फैसला बच्चों को बेहतर संसाधन, योग्य शिक्षक और अच्छी पढ़ाई की सुविधा देने के उद्देश्य से लिया है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम संविधान के शिक्षा से संबंधित अनुच्छेदों के अनुरूप है। साथ ही यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार लिया गया है, जिसमें स्कूलों को सशक्त और संसाधनयुक्त बनाने की बात कही गई है।

सरकार ने बताया कि जहां छात्र संख्या कम है, वहां स्कूलों को पास के स्कूलों में मिलाकर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इससे शिक्षकों की उपलब्धता, स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय और खेलकूद जैसी सुविधाएं एक ही जगह केंद्रित होंगी।

कोर्ट ने कहा कि इस फैसले से छात्रों को नुकसान नहीं बल्कि फायदा होगा, और सरकार को यह अधिकार है कि वह शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए ऐसे कदम उठाए।

इस फैसले से साफ है कि राज्य सरकार शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ठोस कदम उठा रही है और न्यायपालिका ने भी इसमें सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन किया है।

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