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Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हज़ारों छात्रों और उनके परिवारों के लिए एक बहुत बड़ी और राहत भरी ख़बर आई है। राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पोस्ट-ग्रेजुएट (PG) मेडिकल और डेंटल कोर्स की 85% सीटों को स्थानीय छात्रों (लोकल स्टूडेंट्स) के लिए आरक्षित कर दिया है। यह फैसला राज्य में स्थापित हुए नए मेडिकल कॉलेजों पर भी लागू होगा।

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) के नेतृत्व वाली सरकार ने इस संबंध में सरकारी आदेश (GO Ms No. 114) जारी कर दिया है। यह कदम राज्य के मेडिकल छात्रों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा और उन्हें अपने ही राज्य में PG की पढ़ाई करने के ज़्यादा अवसर प्रदान करेगा।

क्या बदला है और इसका क्या मतलब है?

अब तक, तेलंगाना में आरक्षण की व्यवस्था थोड़ी अलग थी। नियम के अनुसार, सिर्फ़ उन मेडिकल कॉलेजों में स्थानीय छात्रों के लिए सीटें आरक्षित थीं, जो 2 जून 2014 (तेलंगाना राज्य बनने की तारीख) से पहले स्थापित हुए थे।

इस तारीख के बाद बने कॉलेजों में स्थानीय छात्रों के लिए कोई आरक्षण नहीं था। लेकिन अब, इस नए आदेश के बाद, 2014 के बाद स्थापित हुए सभी नए मेडिकल कॉलेजों को भी इस 85% आरक्षण के दायरे में लाया गया है।

इसका सीधा मतलब यह है कि अब इन कॉलेजों की ऑल इंडिया कोटा की 15% सीटें छोड़कर बाक़ी 85% सीटों पर सिर्फ़ उन्हीं छात्रों को एडमिशन मिलेगा, जो तेलंगाना के स्थानीय निवासी (domicile) हैं।

क्यों ज़रूरी था यह क़दम?

तेलंगाना सरकार के अनुसार, जब राज्य का गठन हुआ था, तब यहां सिर्फ़ पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में सरकार ने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है, जिससे राज्य में नए कॉलेजों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है।

सरकार का कहना है कि राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ने के बावजूद, स्थानीय छात्रों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था क्योंकि नए कॉलेजों में स्थानीय आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी। इस नए फ़ैसले से तेलंगाना के हज़ारों प्रतिभाशाली छात्रों को अब दूसरे राज्यों या देशों का रुख़ नहीं करना पड़ेगा और वे अपने ही राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टर (Specialist Doctors) बन सकेंगे।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी. हरीश राव ने इस फ़ैसले को मेडिकल शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। इस क़दम से न सिर्फ़ छात्रों को फ़ायदा होगा, बल्कि राज्य के अस्पतालों में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।