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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बयानों से सुर्खियां बटोरने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनके एक हालिया बयान ने भारत और अमेरिका के बीच 24 घंटे के लिए एक राजनयिक तूफान खड़ा कर दिया। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले को लेकर एक ऐसा दावा किया, जिसे भारत सरकार ने तुरंत और सख्ती से खारिज कर दिया।

क्या था ट्रंप का दावा: अपने एक भाषण के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से रूसी तेल के मुद्दे पर सीधी बात की थी और उन्हें इस मामले पर कोई सलाह दी या किसी बात के लिए मनाया था। उनका इशारा यह था कि भारत की तेल नीति पर उनका प्रभाव था। यह बयान जैसे ही सामने आया, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर आग की तरह फैल गई, क्योंकि यह सीधे तौर पर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर एक टिप्पणी थी।

भारत का 24 घंटे के अंदर मुंहतोड़ जवाब

ट्रंप के इस दावे पर भारत ने प्रतिक्रिया देने में जरा भी देर नहीं लगाई। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 24 घंटे के भीतर ही एक कड़ा और स्पष्ट बयान जारी कर ट्रंप के दावे को "पूरी तरह से बेबुनियाद और गलत" बताया।

भारत ने साफ किया कि प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के बीच ऐसी कोई बातचीत हुई ही नहीं थी, जिसमें रूसी तेल को लेकर कोई चर्चा हुई हो। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर अपनी विदेश और ऊर्जा नीतियां तय करता है और इस पर किसी भी बाहरी देश का कोई दबाव या प्रभाव नहीं है।

क्यों मायने रखता है भारत का यह कड़ा रुख?

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा। यह भारत की रणनीतिक स्वायत्तता (strategic autonomy) का एक बड़ा उदाहरण था। ट्रंप का दावा इसी स्वतंत्र नीति पर सवाल खड़ा करने की एक कोशिश थी।

भारत के तुरंत और कड़े खंडन ने इस विवाद पर पूरी तरह से विराम लगा दिया है और दुनिया को यह संदेश भी दे दिया  कि भारत अपनी विदेश नीति को लेकर किसी भी तरह के झूठे दावों को बर्दाश्त नहीं करेगा।