
Up Kiran,Digitl Desk: जब एक आम नागरिक अपने इलाके की कोई समस्या उठाता है, तो उसे समाधान की उम्मीद होती है। लेकिन जब समस्या उठाने वाली शख्सियत बायोकॉन (Biocon) जैसी बड़ी कंपनी की प्रमुख, किरण मजूमदार-शॉ हों, तो मामला कुछ और ही हो जाता है। बेंगलुरु में कूड़े की एक साधारण सी शिकायत पर कर्नाटक के एक मंत्री और देश की एक शीर्ष उद्योगपति के बीच ऐसी जुबानी जंग छिड़ी, जो अब सुर्खियों में है।
क्या है यह पूरा मामला: सब कुछ शुरू हुआ किरण मजूमदार-शॉ के एक ट्वीट से। उन्होंने अपने इलाके डोम्मासंद्रा में फैले कूड़े के ढेर और गंदगी की समस्या को लेकर सोशल मीडिया पर एक शिकायत दर्ज कराई। उन्हें उम्मीद थी कि प्रशासन इस पर ध्यान देगा।
लेकिन उनकी इस शिकायत पर कर्नाटक के आईटी-बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे का जवाब बेहद अप्रत्याशित और तल्ख था। मंत्री जी ने कूड़े की समस्या पर बात करने के बजाय, किरण मजूमदार-शॉ पर ही सवालों की बौछार कर दी।
मंत्री जी का ‘GST वाला ताना: प्रियांक खड़गे ने अपने जवाब में ताना कसते हुए कहा कि किरण मजूमदार-शॉ को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मजूमदार-शॉ ने न तो अपना प्रॉपर्टी टैक्स चुकाया है और न ही उनकी कंपनी बायोकॉन ने राज्य का बकाया GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) चुकाया है, जो एक बड़ी रकम है। मंत्री का इशारा साफ था - पहले टैक्स चुकाइए, फिर शिकायत कीजिए।
किरण मजूमदार-शॉ का पलटवार: मंत्री के इस निजी हमले से किरण मजूमदार-शॉ भी चुप नहीं बैठीं। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का बड़ी शालीनता लेकिन मजबूती से जवाब दिया। उन्होंने अपने अगले ट्वीट में साफ किया:
"आदरणीय मंत्री जी, मैंने तो सिर्फ कूड़ा हटाने का अनुरोध किया था। रही बात प्रॉपर्टी टैक्स की, तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं हूं (संभवतः संपत्ति का मालिक कोई और है)। और जहां तक बायोकॉन के GST की बात है, तो यह मामला कानूनी रूप से एक न्यायाधिकरण (Tribunal) में विचाराधीन है।"
उनका संदेश बिल्कुल सीधा था - एक नागरिक के तौर पर अपनी समस्या उठाना मेरा हक है, और इसे मेरे या मेरी कंपनी के किसी कानूनी विवाद से जोड़कर देखना गलत है।
यह घटना अब एक बड़ी बहस का मुद्दा बन गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या किसी नागरिक द्वारा कोई नागरिक समस्या उठाने पर, सरकार के प्रतिनिधि को इस तरह से व्यक्तिगत और असंबद्ध मुद्दों को उठाकर उसे चुप कराने की कोशिश करनी चाहिए?