Up Kiran, Digital Desk: ग्रैंडमास्टर आर. वैशाली के लिए यह साल किसी रोलरकोस्टर राइड से कम नहीं रहा. एक समय ऐसा था जब वह शतरंज छोड़ने का मन बना चुकी थीं, लेकिन आज वही वैशाली कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर चुकी हैं. चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स में लगातार सात मैच हारने के बाद वैशाली इतनी निराश हो गई थीं कि उन्होंने ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट से अपना नाम वापस लेने का फैसला कर लिया था. लेकिन उनके परिवार, ख़ासकर उनके छोटे भाई आर. प्रज्ञानानंद ने उन्हें सहारा दिया और खेलने के लिए मनाया.
"मेरी ज़िंदगी का सबसे मुश्किल टूर्नामेंट था"
FIDE को दिए एक इंटरव्यू में वैशाली ने बताया, "चेन्नई में हुआ टूर्नामेंट मेरी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल टूर्नामेंट में से एक था. मैंने लगातार सात गेम हारे. मैंने इससे पहले भी बुरे टूर्नामेंट खेले थे, लेकिन यह बर्दाश्त से बाहर था. मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी और मैंने अपने माता-पिता से कह दिया था कि मैं ग्रैंड स्विस नहीं खेलने वाली."
वैशाली ने कहा, "मैंने ग्रैंड स्विस खेलने से लगभग मना ही कर दिया था, लेकिन मेरे आस-पास के लोगों ने मुझे खेलने के लिए मनाया. उनकी वजह से ही मेरी सोच बदली और मैं खेलने के लिए तैयार हुई."
एक टूर्नामेंट ने बदल दी ज़िंदगी
24 साल की वैशाली ने बताया कि वह पूरे साल बहुत मेहनत कर रही थीं, लेकिन नतीजे उनके पक्ष में नहीं आ रहे थे. उन्होंने कहा, "इस साल मैंने बहुत मेहनत की, लेकिन कुछ भी सही नहीं हो रहा था. मैंने कुछ बहुत मुश्किल टूर्नामेंट खेले और मेरी रेटिंग भी कम हो गई. इसलिए यह टूर्नामेंट मेरे लिए बहुत ज़रूरी था."
वैशाली का मानना है कि पिछले साल कैंडिडेट्स में क्वालिफाई करने के बाद उन्हें असली मेहनत का मतलब समझ आया. वह कहती हैं, "रिजल्ट भले ही मेरे पक्ष में नहीं थे, लेकिन ग्रैंड स्विस के एक ही टूर्नामेंट में सबकुछ बदल गया. मैं बहुत खुश हूँ."
अब वैशाली, दिव्या देशमुख और कोनेरू हम्पी के बाद कैंडिडेट्स के लिए क्वालिफाई करने वाली तीसरी भारतीय बन गई हैं.
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