Up Kiran, Digital Desk: राजनीति में दोस्ती और कूटनीति के बीच की रेखा बहुत महीन होती है, और इस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद इसी कशमकश को सबसे बेहतर समझ रहे होंगे. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना पुराना राग अलापते हुए यह दावा कर दिया है कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा था. बस फिर क्या था, भारत में कांग्रेस पार्टी को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया और उन्होंने सीधे पीएम मोदी पर सवालों की बौछार कर दी.
कांग्रेस ने ह्यूस्टन में हुए भव्य 'हाउडी, मोदी!' कार्यक्रम का जिक्र करते हुए तंज कसा है और पूछा है कि अब इस पर 'हाउडी मोदी' (यानी मोदी जी अब आप कैसे हैं/क्या कहेंगे) का क्या कहना है?
ट्रंप ने फिर क्या कह दिया?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से यह दावा किया कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की थी. हालांकि, भारत सरकार ट्रंप के इस दावे को पहली बार में ही सिरे से खारिज कर चुकी है और साफ कर चुकी है कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई ज़रूरत नहीं है.
लेकिन ट्रंप हैं कि मानते नहीं. उनके इसी बयान को कांग्रेस ने हथियार बना लिया है.
कांग्रेस ने दागे तीखे सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा:
"जब ट्रंप बार-बार झूठ बोल रहे हैं, तो हमारे प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? उन्हें सामने आकर यह क्यों नहीं कहना चाहिए कि ट्रंप जो कह रहे हैं, वह गलत है?"
"क्या हमारे प्रधानमंत्री की दोस्ती देश के सम्मान से भी बड़ी हो गई है?"
"जब ट्रंप कहते हैं कि 'मेरे दोस्त' मोदी ने मुझसे मदद मांगी, तो इसका क्या मतलब निकाला जाए? क्या भारत इतना कमजोर हो गया है कि उसे कश्मीर जैसे अपने आंतरिक मामले पर किसी और देश की मदद की ज़रूरत पड़ेगी?"
कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री को देश को यह बताना चाहिए कि उनकी और ट्रंप की असल में क्या बात हुई थी. पार्टी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधकर देश की विदेश नीति को कमजोर किया है.
यह मामला अब सिर्फ एक बयानबाजी का नहीं रह गया है. यह भारत की संप्रभुता और उसकी विदेश नीति की साख का सवाल बन गया है. एक तरफ 'हाउडी, मोदी!' जैसे कार्यक्रमों में ट्रंप और मोदी की गहरी दोस्ती के चर्चे हैं, तो दूसरी तरफ ट्रंप का यह बयान उस दोस्ती पर ही सवाल खड़े कर रहा है. अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री मोदी इस राजनीतिक चक्रव्यूह का जवाब कैसे देते हैं.
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