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Up Kiran, Digital Desk: लखनऊ के तेलीबाग क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाला धोखाधड़ी का मामला उजागर हुआ है, जिसने पेंशन प्रणाली की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक युवक ने अपने मृत पिता की पेंशन पाने के लिए न केवल नियमों को ताक पर रखा, बल्कि एक अजनबी व्यक्ति को ‘पिता’ बनाकर सरकारी सत्यापन तक करवा लिया।

जानकारी के अनुसार, रिटायर्ड शिक्षक प्रेम शंकर तिवारी के निधन के बाद उनके बेटे आलोक तिवारी ने अपने पिता की पेंशन लेना जारी रखा। लेकिन इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि आलोक ने एक बाहरी व्यक्ति को अपना पिता दर्शाकर, उसकी मदद से सत्यापन प्रक्रिया पूरी करवाई। बदले में वह उस व्यक्ति को कुछ राशि भी देता रहा। इस जालसाजी का खेल वर्षों तक चला और किसी को भनक तक नहीं लगी।

हालांकि, हाल ही में पेंशन विभाग द्वारा की गई रूटीन सत्यापन प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों को गड़बड़ी का शक हुआ। दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच और फोटो मिलान के बाद इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

जांच शुरू, नोटिस जारी, एफआईआर अभी नहीं
फर्जीवाड़े की पुष्टि होते ही संबंधित अधिकारियों ने मामले की गहन जांच के आदेश दे दिए। प्रारंभिक जांच के बाद आलोक तिवारी को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उससे पूरी पेंशन राशि लौटाने को कहा गया है।

हालांकि, अब तक इस मामले में पुलिस में कोई प्राथमिकी (FIR) दर्ज नहीं की गई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यदि निर्धारित समयसीमा में राशि की वसूली नहीं की जाती है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सवालों के घेरे में पेंशन विभाग की निगरानी प्रणाली
इस प्रकरण ने न केवल आलोक तिवारी की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पेंशन विभाग की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि विभागीय सत्यापन प्रणाली को और अधिक सशक्त एवं तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जा सकें।

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