ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे के बाद न जाने कितने घर टूटे। न जाने कितने बच्चों के सिर से मां बाप का साया ही खत्म हो गया। 2 जून की शाम थी, जिसने कई लोगों की जिंदगियां लील ली। जिन स्कूलों के कमरों में नन्ही बच्ची पढ़ाते थे, आज वही स्कूल के कमरे मुर्दा घर में तब्दील हो गए। स्कूल के कमरे में शवों का अंबार है। ऐसे में इन लाशों के बीच एक ऐसी आवाज आती है जो सबको हैरान कर देती है। जी हां, इन लाशों के बीच एक आवाज आती है मैं जिंदा हूं, पानी पिला दो।
खबरों की मानें तो शुक्रवार को हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे के बाद रॉबिन बेहोश थे, लेकिन उन्हें मरा हुआ मानकर शवों के साथ स्कूल के एक कमरे में छोड़ दिया गया था। इस कमरे में जब बचावकर्मी दाखिल हुए तो उनमें से एक के पैर को अपने हाथों से दबाते हुए रॉबिन कराहते हुए कहा, मैं जिंदा हूं, पानी पिला दो। यह जानकारी मंगलवार को सामने आई। बालासोर में हुई दुर्घटना के बाद इस खबर से रॉबिन के परिवार में खुशियां छा गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद शवों को रखने के लिए सरकारी स्कूल के कमरों को भी अस्थाई मॉर्चरी बना दिया गया था। एक कमरे में कई लाशों को रखा गया था। बचावकर्मी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जा रहे थे तो कुछ शवों की पहचान में जुटे हुए थे। इसी क्रम में जब बचावकर्मी स्कूल के कमरे में दाखिल हुए तो उनमें से एक को लगा कि कोई उसके पैरों को पकड़ रहा है। तभी उसे आवाज आई, मैं जिंदा हूं। मैं मरा नहीं हूं। प्लीज मुझे पानी पिला दो। बचावकर्मियों ने उस युवक को तुरंत पानी पिलाया और सीधे अस्पताल लेकर गए।
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