_2125090419.png)
Up Kiran, Digital Desk: नई दिल्ली में भारत और नेपाल के संबंधों के इतिहास में एक अहम अध्याय जुड़ने जा रहा है। करीब नौ वर्षों के लंबे अंतराल के बाद दोनों देशों के बीच गृह सचिव स्तर की वार्ता दोबारा शुरू हो रही है। इस समय यह बैठक महज एक कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं बल्कि दोनों देशों की साझा सुरक्षा चिंताओं का समाधान तलाशने की एक बड़ी कोशिश है। सीमा पार से जुड़ी आपराधिक गतिविधियां, आतंकवाद, मानव तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे जटिल मसलों के बीच यह वार्ता महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है।
वार्ता की कमान और भागीदार
दो दिवसीय इस अहम बैठक में भारत की ओर से गृह सचिव गोविंद मोहन और नेपाल की ओर से उनके समकक्ष गोकर्ण मणि द्वावड़ी नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों देशों के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि जैसे कि खुफिया एजेंसियां, विदेश मंत्रालय, सीमा पुलिस बल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी चर्चा में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस बातचीत को “महत्वपूर्ण और आशाजनक पहल” बताते हुए उम्मीद जताई कि वर्षों से लंबित मुद्दों पर समाधान की दिशा में ठोस प्रगति होगी।
एजेंडे में कौन-कौन से मुद्दे
बैठक में प्रमुख रूप से सीमा पार आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसमें मानव तस्करी, नकली नोटों का प्रसार, मादक पदार्थों का अवैध व्यापार और सीमा चिन्हों की मरम्मत जैसे तकनीकी विषय भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सीमा पर संयुक्त गश्त की रणनीति, एकीकृत जांच चौकियों (आईसीपी) और भारत-नेपाल सीमा पर सड़क व रेलवे संपर्क को और सुदृढ़ करने पर भी मंथन होगा।
एक और विशेष बिंदु है प्रत्यर्पण संधि, जिस पर पिछले दो दशकों से बातचीत जारी है। 2005 में प्रारंभिक स्तर पर बने मसौदे पर बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी थी क्योंकि नेपाल "तीसरे देश के नागरिकों" के प्रत्यर्पण को लेकर आशंकित रहा है। अगर यह संधि अमल में आती है, तो भारत को उन तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करने में मदद मिलेगी जो नेपाल की खुली सीमा का इस्तेमाल कर भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हैं, खासकर पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क।
वर्तमान संदर्भ में क्यों अहम है ये बैठक
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब कुछ ही हफ्ते पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। उसके बाद भारत ने नेपाल से सीमा निगरानी व्यवस्था को और अधिक सख्त करने की आवश्यकता जताई है। भारत को ये भी चिंता है कि नेपाल सीमा के पास मदरसों की बढ़ती संख्या कहीं कट्टरपंथी तत्वों के पनाहगाह में न बदल जाए। ऐसे में नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता रामचंद्र तिवारी का ये कहना कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है, दोनों देशों के बीच भरोसे के निर्माण के लिहाज से आश्वस्त करने वाला है।
--Advertisement--