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Up Kiran, Digital Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते एक बार फिर तल्ख़ियों के दौर से गुजर रहे हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच स्थिति गंभीर होती जा रही है। सीमा पर पाकिस्तानी सेना की फायरिंग और भारतीय सेना के तीखे जवाब ने हालात को और बिगाड़ दिया है। अब यह तनाव केवल सीमित इलाकों तक नहीं रह गया, बल्कि समुद्री सीमा पर भी इसके प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।

भारतीय सेना न केवल सीमा पर पूरी तरह से सतर्क है, बल्कि वायुसेना और नौसेना को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। युद्ध की आशंका को देखते हुए सीमावर्ती इलाकों में तैयारियां तेज़ हो गई हैं। भारत की आक्रामक रणनीति अब सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि सैन्य स्तर पर भी कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

इस बीच पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। वहां की मीडिया, सेना और राजनीतिक गलियारे भारत के संभावित सैन्य कदमों से डरे हुए हैं। खासकर भारतीय नौसेना की हालिया गतिविधियों ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है।

भारतीय नौसेना का शक्ति प्रदर्शन: समुद्र में युद्धाभ्यास ने बढ़ाई बेचैनी

30 अप्रैल से लेकर 3 मई तक भारतीय नौसेना ने गुजरात के समुद्र तट के पास युद्धाभ्यास करने का निर्णय लिया है। यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान भी उसी क्षेत्र के ठीक सामने 30 अप्रैल से 2 मई तक अपनी नौसेना के साथ अभ्यास में जुटा है। इस आमने-सामने के अभ्यास ने तनाव की स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

भारतीय नौसेना 85 नॉटिकल माइल्स भीतर रहकर अभ्यास कर रही है, लेकिन पाकिस्तान के लिए यह दूरी भी मानसिक रूप से असहज कर देने वाली है। यह अभ्यास न केवल तकनीकी दक्षता और सैन्य तैयारी दिखाने का संकेत है, बल्कि यह पाकिस्तान को कड़ा संदेश भी है कि भारत किसी भी हमले का जवाब पूरी ताकत से देगा।

यह युद्धाभ्यास ऐसे वक्त पर हो रहा है जब भारत अपनी सीमाओं पर चौकसी बढ़ा चुका है और हर स्तर पर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने की तैयारी में है। समुद्र में इस तरह की सैन्य गतिविधि दिखाती है कि भारत अब सिर्फ बचाव की नहीं, बल्कि आक्रामक नीति अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है।

1971 की याद: ऑपरेशन ट्राइडेंट का डर सताने लगा पाकिस्तान को

भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं इतिहास खुद को दोहरा न दे। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत करांची बंदरगाह पर ऐसा हमला किया था कि पाकिस्तान की सैन्य और नौसैनिक ताकत को तगड़ा झटका लगा था।

इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कई जहाजों को डुबो दिया था और करांची पोर्ट को तहस-नहस कर दिया था। उस समय यह भारत की एक ऐतिहासिक और निर्णायक जीत थी, जिसने पाकिस्तान को युद्ध के मैदान में शर्मसार कर दिया था।

अब जब भारतीय नौसेना एक बार फिर उसी स्थान के करीब अभ्यास कर रही है, तो पाकिस्तान को वही पुराना डर सता रहा है। पाकिस्तान की मीडिया और रक्षा विशेषज्ञों के बीच चर्चा जोरों पर है कि भारत फिर से कोई बड़ा हमला कर सकता है, और यह डर किसी भी समय जंग में बदल सकता है।

 आधी रात की घबराहट: पाकिस्तान के मंत्री की आपात प्रेस कॉन्फ्रेंस

भारत की सैन्य तैयारियों को देखकर पाकिस्तान की सरकार पूरी तरह से तनाव में आ चुकी है। इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने आधी रात को आपात प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दावा किया कि “भारत अगले 24 से 36 घंटों में पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है।”

पाकिस्तानी मीडिया ने इस बयान को ब्रेकिंग न्यूज बनाकर चलाना शुरू कर दिया, जिससे आम लोगों में दहशत का माहौल बन गया। लोग राशन जमा करने लगे, बैंक से पैसे निकालने की होड़ मच गई, और देश में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया।

इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान की सरकार और सेना भारत के सैन्य मूवमेंट्स से पूरी तरह असहज और डरे हुए हैं। यह डर केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की आंतरिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।

क्या जंग के हालात बन रहे हैं? रणनीति या मनोवैज्ञानिक दबाव?

भारत और पाकिस्तान के मौजूदा हालात को देखकर यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या वास्तव में युद्ध की स्थिति बन रही है या फिर यह एक मनोवैज्ञानिक युद्ध है जिसमें दोनों देश एक-दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं?

भारत का रवैया साफ है—आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और अगर पाकिस्तान कार्रवाई नहीं करता तो भारत खुद जवाब देगा। वहीं, पाकिस्तान की सरकार और सेना की प्रतिक्रियाएं डर और घबराहट को दर्शा रही हैं।

भारत के सैन्य अभ्यास, सीमा पर तैनाती, और नौसेना की आक्रामक मुद्रा यह संकेत देती है कि भारत अब 'स्ट्रैटेजिक साइलेंस' की नीति नहीं अपनाएगा, बल्कि पूरी दुनिया को दिखाना चाहता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ न केवल कड़ा संदेश देगा, बल्कि आवश्यक हुआ तो कार्रवाई भी करेगा।

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