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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसव से एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक मुलाकात की। यह बैठक दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग के नए अवसरों को लेकर चर्चा का केन्द्र बनी।
भारतीय रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में साफ तौर पर उल्लेख किया गया कि दोनों पक्षों ने एयर डिफेंस प्रणालियों और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के विकास व तकनीकी साझेदारी पर विशेष ध्यान दिया है। ये संकेत स्पष्ट हैं कि भारत अपनी हवाई सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए रूस के साथ ठोस डिफेंस समझौते पर काम कर रहा है।
इसी कड़ी में इस हफ्ते एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भारत और रूस एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर गंभीर बातचीत में हैं, जो देश की रक्षा ढांचे को और सुदृढ़ करेगा।
एयर टू एयर मिसाइलों का उत्पादन भारत में होगा
रूस ने एयरो इंडिया 2025 में भारत को अपनी लंबी दूरी की R-37M मिसाइल, जिसे RVV-BD के नाम से भी जाना जाता है, की बिक्री के लिए प्रस्ताव दिया था। इस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में स्थानीय स्तर पर तैयार करने की योजना बनाई गई है। रूस की सरकारी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने भी पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच आधुनिक गाइडेड मिसाइलों के संयुक्त विकास पर बातचीत चल रही है।
यह साझेदारी केवल भारत की जरूरतों को पूरा करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका उद्देश्य तीसरे देशों को भी इस तकनीक का निर्यात करना है। इसका मतलब साफ है कि भारत इस क्षेत्र में खुद को एक निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
Su-30MKI विमानों की ताकत में इजाफा
पिछले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के Su-30MKI विमानों ने पाकिस्तान के ठिकानों पर ब्रह्मोस मिसाइलों का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। अब इन विमानों के अपग्रेडेशन का काम तेज़ी से चल रहा है। रूस ने यह साफ कर दिया है कि इस अपग्रेडेशन में भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगा। HAL की अगुवाई में इस योजना को भारत में ही पूरा किया जाएगा।
यह अपग्रेडेशन Su-30MKI में नए AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक तकनीक और आधुनिक कॉकपिट इंटरफेस को शामिल करेगा, जिससे ये विमान भविष्य की लड़ाइयों के लिए पूरी तरह सक्षम बन जाएंगे।
स्वदेशी विरूपाक्ष रडार: भारतीय तकनीक की मिसाल
पूर्व वायुसेना पायलट विजयेंद्र ठाकुर के अनुसार, इस बैठक में S-400 सिस्टम की आपूर्ति, Su-30MKI का अपग्रेडेशन और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों की खरीद पर विशेष चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की वायुसेना ने हाल ही में चीनी PL-15 मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिससे भारत को लंबी दूरी की मारक क्षमता विकसित करने की जरूरत महसूस हुई।
भारत ने इस चुनौती का जवाब RVV-BD मिसाइल और विरूपाक्ष AESA रडार के रूप में दिया है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस रडार में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर के लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है और कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकता है।
तकनीकी सहयोग और OEM पर निर्भरता
जैसा कि दुनिया भर की प्रमुख फाइटर जेट निर्माता कंपनियां अपने स्रोत कोड साझा नहीं करतीं, भारत को Su-30MKI के लिए रूस की तकनीकी सहायता की जरूरत पड़ती है। यह सहयोग केवल मिसाइलों को विमान में जोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे S-400 और AEW&CS जैसी प्रणालियों के साथ नेटवर्क आधारित वॉरफेयर के विस्तार में भी शामिल किया जाएगा।
इस तरह का सहयोग भारत को अपनी रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
Su-30MKI विमानों के अपग्रेडेशन और RVV-BD मिसाइल के साथ लैस करने की योजना से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी है। यह कदम केवल रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि यह भारत-रूस के सामरिक साझेदारी को और गहरा करने वाला भी है।
स्थानीय उत्पादन की वजह से न केवल लॉजिस्टिक सपोर्ट में सुधार होगा, बल्कि वायुसेना के प्रशिक्षण और इंटीग्रेशन में भी तेजी आएगी। इस सहयोग से भारत न केवल एक खरीदार के तौर पर, बल्कि एक साझेदार के रूप में उभरेगा, जो देश की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को मजबूत करेगा।