img

Up Kiran, Digital Desk: भारत और अमेरिका अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। दोनों देश एक नए, 10-वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने इस बात की पुष्टि की है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

समझौते का मुख्य उद्देश्य:
यह नया रक्षा फ्रेमवर्क केवल हथियारों की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त विकास (joint development), सह-उत्पादन (co-production) और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (technology transfer) पर जोर देना है। इसका मतलब है कि दोनों देश मिलकर रक्षा उपकरण बनाएंगे, प्रौद्योगिकियां साझा करेंगे, और एक-दूसरे की क्षमताओं को बढ़ाएंगे।

रणनीतिक महत्व:
पेंटागन के अनुसार, यह समझौता "नए और अधिक जटिल रक्षा संबंधों" की शुरुआत का प्रतीक है। यह भारत और अमेरिका को वर्तमान और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का मिलकर सामना करने में सक्षम बनाएगा। विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, यह साझेदारी क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

भारत के लिए लाभ:
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस समझौते को लेकर उत्साहित हैं। यह फ्रेमवर्क भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देगा, जिससे घरेलू रक्षा उत्पादन को गति मिलेगी। साथ ही, भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों तक पहुंच मिलेगी, जो देश की सैन्य क्षमताओं को और मजबूत करेगी। यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और अंतरसंचालनीयता (interoperability) को भी बढ़ावा देगा।

यह 10-वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क समझौता भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती, विश्वास और साझा रणनीतिक हितों का एक स्पष्ट प्रमाण है। यह न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।

--Advertisement--