
india defense deal: भारत की रक्षा तैयारियों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। 63 हजार करोड़ रुपए की इस मेगा डील में 26 राफेल मरीन जेट की खरीद के साथ-साथ रखरखाव, रसद, प्रशिक्षण और स्वदेशी विनिर्माण का व्यापक पैकेज शामिल है। ये सौदा सिर्फ विमानों की खरीद तक सीमित नहीं है। इसमें ऑफसेट दायित्वों के तहत भारत में तकनीक हस्तांतरण और स्थानीय उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।
समझौते पर हस्ताक्षर के पांच साल बाद इन जेट्स की डिलीवरी शुरू होगी और ये नौसेना के मिग-29के बेड़े के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।
राफेल मरीन जेट की खूबी है इनकी बहु-उद्देश्यीय क्षमता। ये हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर समुद्र में जहाजों को निशाना बनाने तक में सक्षम हैं। आईएनएस विक्रांत पर इनकी तैनाती भारत को हिंद महासागर में एक नई रणनीतिक बढ़त देगी। रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (रिटायर्ड) अनिल शर्मा ने बताया कि राफेल मरीन का बड़ी बड़ी रिफ्यूलिंग सिस्टम गेम-चेंजर है। ये न सिर्फ नौसेना बल्कि वायु सेना के राफेल जेट्स की रेंज को भी बढ़ाएगा। भारतीय वायु सेना पहले से ही 36 राफेल जेट्स का संचालन कर रही है और अब ये नया सौदा उसकी ताकत को दोगुना करेगा।
मगर ये सौदा सिर्फ सैन्य ताकत की बात नहीं है। इसके जरिए भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग भी गहरा होगा। सौदे में शामिल स्वदेशी विनिर्माण का हिस्सा ‘मेक इन इंडिया’ को नई रफ्तार दे सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह डील रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है।