
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय और भारतीय सेना ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर दोहरे रवैये पर गंभीर सवाल उठाए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता के दौरान खुलासा किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों को पाकिस्तान ने ‘राजकीय सम्मान’ के साथ दफनाया, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के सिद्धांतों के खिलाफ है।
पाकिस्तान ने आतंकियों को किया ‘हीरो’ जैसा सम्मान
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, विक्रम मिस्री ने तस्वीरें साझा कीं जिनमें पाकिस्तान के सैनिक आतंकवादियों के जनाजे में मौजूद नजर आ रहे थे। इन शवों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया था, जिससे यह साफ हुआ कि पाकिस्तान आतंकवादियों को न केवल शहीद जैसा सम्मान दे रहा है, बल्कि उन्हें हीरो की तरह सलाम भी कर रहा है। विक्रम मिस्री ने कहा, "यह पाकिस्तान की संस्कृति हो सकती है, लेकिन भारत ऐसे आतंकवाद को कभी स्वीकार नहीं करेगा।"
भारत की कार्रवाई थी सिर्फ आतंकवादी ठिकानों पर केंद्रित
विक्रम मिस्री ने यह भी साफ किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई केवल आतंकवादियों के ठिकानों तक सीमित थी और इसमें पाकिस्तानी नागरिकों या सेना को निशाना नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा, "हम तनाव नहीं चाहते, लेकिन अगर भारत को उकसाया गया तो हम करारा जवाब देंगे।" भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सीमा पार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें नौ प्रमुख आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। पाकिस्तान ने दावा किया था कि इस हमले में नागरिकों की मौत हुई, जिसे भारत ने खारिज करते हुए सबूत प्रस्तुत किए कि हमलों का उद्देश्य सिर्फ आतंकी ढांचे थे।
जमात-उद-दावा और पाक सेना का कनेक्शन
इसके अलावा, मुरीदके में हुए एक अंतिम संस्कार के दौरान, पाकिस्तान सेना के अधिकारियों और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के सदस्य भी मौजूद थे। यह वही इलाका है जो आतंकी सरगना हाफिज सईद का गढ़ माना जाता है। भारत का यह खुलासा पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने की वैश्विक कोशिशों में कहां चूक हो रही है।
भारत की यह कार्रवाई पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा संदेश है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा और पाकिस्तान को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।
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