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Up Kiran, Digital Desk: दुनिया के भू-राजनीतिक हालात फिर एक बार वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को हिला रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला करने की योजना बना रहा है। इस अटकल भर से ही कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि यह न सिर्फ महंगाई को बढ़ा सकती है बल्कि भारत के बजट और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाल सकती है।

क्या है इजरायल-ईरान विवाद की ताज़ा स्थिति

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार इजरायल ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले की योजना बना रहा है। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस पर अंतिम निर्णय लिया गया है या नहीं।

साथ ही ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने अमेरिका के साथ परमाणु डील पर कड़ा रुख दिखाया है। उन्होंने यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह रोकने की अमेरिकी मांग को "ज्यादती" करार दिया है। इससे अमेरिका-ईरान डील की संभावनाएं और अधिक धुंधली हो गई हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल

इस भू-राजनीतिक तनाव का सीधा असर तेल बाजार पर पड़ा है।

ब्रेंट क्रूड: 69 सेंट (1.06%) की बढ़ोतरी के साथ $66.07 प्रति बैरल पर

WTI क्रूड: 69 सेंट (1.06%) की बढ़त के साथ $66.07 प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था

मिडिल ईस्ट के किसी भी हिस्से में तनाव का मतलब है – तेल की सप्लाई पर खतरा और कीमतों में उबाल।

भारत पर इसका सीधा असर क्यों पड़ेगा

भारत अपनी जरूरत का 85% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में वैश्विक कीमतों में थोड़ी भी उछाल भारत की आर्थिक नीतियों आम बजट और महंगाई दर पर गहरा असर डाल सकती है।

कुछ अहम आंकड़े

FY 2024-25 में भारत ने $137 अरब का कच्चा तेल आयात किया। 2023-24 में यह आंकड़ा $133.4 अरब था। कुल 234.3 मिलियन टन कच्चा तेल आयात किया गया – 3.4% की साल-दर-साल बढ़ोतरी हुई। इससे स्पष्ट है कि भारत की आर्थिक सेहत पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दामों पर निर्भर करती है।

तेल की कीमतों में उछाल का भारत में असर कैसे होगा

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें बढ़ सकती हैं, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ने से हर वस्तु महंगी हो सकती है, महंगाई दर (Inflation) में इजाफा, सरकारी सब्सिडी बिल बढ़ेगा, ब्याज दरों में बदलाव संभव और रुपया कमजोर हो सकता है जिससे आयात महंगा होगा।

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