
Up Kiran, Digital Desk: भारत तेजी से कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व उप महानिदेशक (डीडीजी) डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि शिक्षा के क्षेत्र में भारत की प्रगति अभूतपूर्व है और अब यह देश दुनिया भर के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन रहा है।
वारंगल में श्री कोंडा लक्ष्मण तेलंगाना राज्य बागवानी विश्वविद्यालय (SKLTSHU) के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर बोलते हुए, डॉ. अग्रवाल ने भारतीय कृषि शिक्षा प्रणाली की बढ़ती क्षमता और इसके द्वारा प्रदान किए जा रहे अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को तैयार कर रहा है।
डॉ. अग्रवाल ने भारत के कृषि-शिक्षा क्षेत्र में हो रहे नवाचारों की सराहना की। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि विश्वविद्यालय, आधुनिक तकनीकों, सतत कृषि पद्धतियों और खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के समाधान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यहां के पाठ्यक्रम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं, जो छात्रों को वैश्विक कृषि बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार करते हैं।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बड़ी संख्या में विदेशी छात्र अब कृषि शिक्षा के लिए भारत आ रहे हैं, जो भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है। इसके अलावा, भारत कृषि अनुसंधान में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिससे नई फसल किस्मों, कीट नियंत्रण विधियों और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि तकनीकों का विकास हो रहा है।
पूर्व आईसीएआर डीडीजी का यह बयान भारत की कृषि शिक्षा प्रणाली में आए सकारात्मक बदलावों को दर्शाता है, जहाँ देश न केवल अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि वैश्विक कृषि विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
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