
Up Kiran, Digital Desk: जब भी दुनिया में कोई बड़ी उथल-पुथल होती है, जैसे कोई लड़ाई या तनाव, तो हम भारतीयों के मन में सबसे पहला डर सताता है - कहीं पेट्रोल-डीज़ल के दाम तो नहीं बढ़ जाएंगे? ऐसा इसलिए क्योंकि कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें तुरंत आसमान छूने लगती हैं।
लेकिन पिछले कुछ समय से एक अजीब और अच्छी बात हो रही है। दुनिया में तनाव होने के बावजूद, कच्चे तेल की कीमतें उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रही हैं जितनी उम्मीद थी। वे काफी हद तक स्थिर (Steady) बनी हुई हैं, और 67 से 69 डॉलर प्रति बैरल के बीच घूम रही हैं। और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस स्थिरता के पीछे सबसे बड़ा हीरो भारत है।
आइए, इस पूरे खेल को बहुत ही सरल भाषा में समझते हैं।
कैसे भारत ने थामी तेल की महंगाई: इस कहानी की शुरुआत होती है रूस-यूक्रेन युद्ध से। जब यह युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए और उससे तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया। अब रूस के पास तेल तो बहुत था, लेकिन खरीदार कम थे। ऐसे में रूस ने अपना तेल बड़े डिस्काउंट यानी छूट पर बेचना शुरू कर दिया।
बस, यहीं पर भारत ने एक बहुत बड़ा और स्मार्ट ‘माइंड गेम’ खेला।
भारत दुनिया में तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। हमारी सरकार ने साफ कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता हमारे नागरिकों के लिए सस्ता तेल सुनिश्चित करना है। हमने इस मौके का फायदा उठाया और रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल (लगभग 15 लाख बैरल प्रति दिन) खरीदना शुरू कर दिया। इससे भारत को दो बड़े फायदे हुए:
हमारी अपनी ज़रूरतें पूरी हुईं और हमें तेल के लिए कम पैसे देने पड़े, जिससे देश में महंगाई को काबू करने में मदद मिली।
जब भारत जैसे बड़े खरीदार ने अपना तेल रूस से लेना शुरू कर दिया, तो सऊदी अरब और दूसरे बड़े तेल बेचने वाले देशों पर दबाव आ गया।
इसका दुनिया भर की कीमतों पर क्या असर पड़ा?
यह सबसे दिलचस्प हिस्सा है। चीन ने भी भारत की तरह रूस से जमकर तेल खरीदना शुरू कर दिया। जब दुनिया के दो सबसे बड़े खरीदार (भारत और चीन) रूस की तरफ चले गए, तो बाकी दुनिया के लिए तेल की मांग में उतनी तेजी नहीं आई। जब मांग में उछाल नहीं आया, तो कीमतें भी काबू में रहीं।
सीधे शब्दों में कहें तो, भारत ने न सिर्फ अपने लिए सस्ता तेल खरीदा, बल्कि दुनिया के बाजार में तेल की अतिरिक्त मांग को भी कम कर दिया, जिससे पूरी दुनिया में कीमतों पर एक लगाम लग गई।
अमेरिका भी हुआ भारत का कायल
भारत की इस सफल रणनीति की तारीफ अब अमेरिका भी कर रहा है। अमेरिका के ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने भारत को अमेरिका का "ज़बरदस्त सहयोगी" (awesome ally) बताया है और कहा है कि वह "भारत के बहुत बड़े प्रशंसक" हैं। उन्होंने माना कि भारत एक तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है जिसकी ऊर्जा ज़रूरतें बहुत ज़्यादा हैं और अमेरिका उसके साथ मिलकर काम करना चाहता है।
भारत अब सिर्फ तेल का एक खरीदार ही नहीं है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा की राजनीति में एक बहुत बड़ा और समझदार खिलाड़ी बन चुका है, जिसके फैसलों का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है।