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Up Kiran, Digital Desk: भारत की 60 प्रतिशत से अधिक कंपनियाँ सक्रिय रूप से कौशल विकास कार्यक्रमों पर जोर दे रही हैं। उनका लक्ष्य भविष्य की जरूरतों के लिए अपने कार्यबल को तैयार करना और उन्हें सशक्त बनाना है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश के आर्थिक और तकनीकी भविष्य के लिए शुभ संकेत देता है।

यह रुझान तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य और बदलती नौकरियों की प्रकृति का सीधा परिणाम है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन जैसी नई प्रौद्योगिकियों के आने से उद्योगों में नए कौशल की मांग तेजी से बढ़ी है। कंपनियाँ अब समझ रही हैं कि बदलते परिवेश में अपने कर्मचारियों को नवीनतम कौशल से लैस करना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता है।

ये कार्यक्रम कंपनियों को कौशल अंतर (skill gap) को पाटने, प्रतिभा की कमी (talent shortage) को दूर करने और कर्मचारियों को भविष्य की भूमिकाओं के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। यह पहल न केवल उत्पादकता बढ़ाती है और कंपनियों को बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है, बल्कि यह कर्मचारियों की संतुष्टि और उन्हें बनाए रखने (retention) में भी सहायक होती है।

यह सकारात्मक रुझान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत संकेत है। यह न केवल रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख प्रतिभा केंद्र (talent hub) के रूप में भी स्थापित करने में मदद करेगा। 

आज के तेजी से बदलते कारोबारी माहौल में कौशल विकास केवल एक एचआर पहल नहीं, बल्कि व्यावसायिक रणनीति का एक अभिन्न अंग बन गया है। जो कंपनियाँ इसमें निवेश करेंगी, वे ही भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और आगे बढ़ने में सक्षम होंगी।

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