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Up Kiran, Digital Desk: पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने कहा है कि भारत ने लॉर्ड्स और मैनचेस्टर टेस्ट (Lord’s and Manchester Test) मैचों में स्पिनर कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) को शामिल न करके एक अच्छा मौका गंवा दिया. उनका मानना है कि टेस्ट मैच (Test Match) के चौथे और पांचवें दिन स्पिनर (Spinners) बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं. यह बयान भारतीय टीम के चयन (Indian Team Selection) और टेस्ट क्रिकेट में स्पिनरों की भूमिका (Role of Spinners in Test Cricket) पर एक नई बहस छेड़ सकता है.

गांगुली ने साफ शब्दों में कहा, "कुलदीप को लॉर्ड्स और मैनचेस्टर में खेलना चाहिए था. यहां तक कि बर्मिंघम में भी, वह मदद कर सकते थे. शीर्ष स्पिनर (Top Spinner) के बिना, आखिरी दो दिनों में दूसरी टीम को आउट करना मुश्किल होता है." उनका यह बयान उन परिस्थितियों की ओर इशारा करता है, जहां पिच टूटने लगती है और स्पिनरों को टर्न और बाउंस मिलना शुरू हो जाता है, जिससे बल्लेबाजों को परेशानी होती है.

दादा ने इस बात पर जोर दिया कि इंग्लैंड की टीम चौथे टेस्ट में 20 विकेट नहीं ले पाई, क्योंकि उनके पास मजबूत स्पिनर (Strong Spinners) नहीं थे. अंतिम दिन 143 ओवर गेंदबाजी करने के बाद भी मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ. यह इंग्लैंड की घरेलू परिस्थितियों में स्पिन की कमी का स्पष्ट उदाहरण है, और दिखाता है कि कैसे एक अच्छे स्पिनर के बिना टेस्ट मैच जीतना कठिन हो सकता है.

गांगुली ने विश्व क्रिकेट के कुछ प्रसिद्ध स्पिनरों जैसे शेन वार्न (Shane Warne), मुथैया मुरलीधरन (Muralitharan), अनिल कुंबले (Kumble) और रविचंद्रन अश्विन (Ashwin) का भी जिक्र किया, और कहा कि अच्छी टीमों (Good Teams) के पास हमेशा मजबूत स्पिनर होते हैं. उनका यह कथन टेस्ट क्रिकेट (Test Cricket) में गुणवत्ता वाले स्पिन गेंदबाजों के महत्व को रेखांकित करता है. ये दिग्गज स्पिनर्स न केवल विकेट लेते थे, बल्कि खेल के प्रवाह को भी नियंत्रित करते थे, जिससे विपक्षी टीम पर लगातार दबाव बना रहता था.

उन्होंने यह भी कहा कि कुलदीप को पांचवें टेस्ट (Fifth Test) से बाहर रखना ठीक था, क्योंकि पिच तेज गेंदबाजों (Fast Bowlers) के अनुकूल थी. यह दर्शाता है कि गांगुली हमेशा संतुलन और परिस्थितियों के अनुसार टीम संयोजन (Team Combination) का समर्थन करते हैं. उन्होंने युवा गेंदबाज अनशुल कंबोज (Anshul Kamboj) के लिए प्रशंसकों से धैर्य रखने (Don't Judge Too Early) की अपील की, जिससे भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) के भविष्य के सितारों को शुरुआती दबाव से बचाया जा सके. 

यह खिलाड़ियों को परिपक्व होने और सीखने के लिए आवश्यक समय देने की जरूरत को भी दर्शाता है. साथ ही, गांगुली ने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि तेज गेंदबाज मुकेश कुमार (Mukesh Kumar) को खेलने का मौका क्यों नहीं मिला, जिससे टीम चयन पर और भी सवाल उठते हैं. यह मुद्दा भारतीय टीम के कोचिंग स्टाफ और चयन समिति के लिए चुनौती बन सकता है.

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