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Up Kiran, Digital Desk: कुछ दिन पहले तक भारत पर सख्त रुख अपनाने वाले अमेरिका ने अब नरमी दिखाते हुए समाधान की बात शुरू कर दी है। अमेरिका के वित्त मंत्री हावर्ड लटनिक ने संकेत दिए हैं कि वह भारत, ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ मिलकर टैरिफ विवाद को सुलझाना चाहते हैं। इससे पहले वही मंत्री भारत से 'माफी की उम्मीद' जताकर विवाद को और गहरा कर चुके हैं।

बाजार खोलने का दबाव, लेकिन भारत की ठोस रणनीति

लटनिक ने यह भी कहा कि भारत और ब्राजील को अपने बाजारों को अधिक खुला बनाना चाहिए ताकि अमेरिका की कंपनियों को नुकसान न हो। लेकिन भारत की ओर से इस बार कोई नरमी नहीं दिखाई दी है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिका की शर्तों को मानने के बजाय अपने हितों को प्राथमिकता देगा और नए विकल्पों की तलाश में है।

रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की नाराजगी

अमेरिका को भारत का रूस से तेल खरीदना भी खटक रहा है। लटनिक ने इसे 'मजाक' बताया और कहा कि भारत को तय करना होगा कि वह अमेरिका का साथ देगा या रूस का। हालांकि भारत ने अपने ऊर्जा हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल खरीद को जारी रखा है।

ब्रिक्स देशों की चेतावनी: वैश्विक व्यापार को खतरा

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान भारत की अध्यक्षता में हुई ब्रिक्स देशों की बैठक में टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों पर चिंता जताई गई। ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि इस तरह की नीतियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट पैदा कर सकती हैं और इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता बढ़ेगी।

कंज्यूमर मार्केट का हवाला, लेकिन भारत का संतुलित रुख

अमेरिका ने एक बार फिर अपनी बड़ी उपभोक्ता बाजार का हवाला देते हुए यह जताने की कोशिश की कि दुनिया की अर्थव्यवस्था उसके बिना नहीं चल सकती। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दबाव में आकर फैसले नहीं लेगा, बल्कि दीर्घकालिक लाभ और आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखकर ही अपनी नीतियों का निर्धारण करेगा।