
trump trade war: तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव कोई नई बात नहीं है, मगर इस बार कहानी कुछ अलग है। ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर को तेज कर दिया है, जिसके जवाब में बीजिंग भी पीछे नहीं हट रहा। इसका नतीजा? वैश्विक ऊर्जा खपत पर असर और मंदी की आहट। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि यदि हालात बिगड़े तो कच्चा तेल 40 डॉलर से भी नीचे जा सकता है।
मगर जहाँ दुनिया के बड़े खिलाड़ी चिंता में हैं। वहीं भारत के लिए ये खबर किसी लॉटरी से कम नहीं। क्यों, क्योंकि भारत अपनी तेल जरूरतों का 80% से ज्यादा आयात करता है। यदि कीमतें गिरीं तो आयात बिल कम होगा, विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा और व्यापार घाटे पर लगाम लगेगी। पेट्रोल-डीजल की कीमतें नीचे आएँगी। इससे महंगाई काबू में रहेगी और आम आदमी की जेब को राहत मिलेगी।
इन उद्योगों को होगा फायदा
इसके अलावा परिवहन, लॉजिस्टिक्स, पेंट और पेट्रोकेमिकल जैसे उद्योगों को भी बड़ा फायदा होगा। इनके लिए कच्चा तेल कच्चा माल है और सस्ता तेल मतलब कम उत्पादन लागत और ज्यादा मुनाफा। एक अर्थशास्त्री ने बताया कि तेल की कीमतों में गिरावट से ग्राहकों के पास खर्च करने को ज्यादा पैसा बचेगा, जो अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही रुपये को भी मजबूती मिल सकती है।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। यदि यह गिरावट वैश्विक मंदी की वजह से हुई, तो भारत भी इसके दुष्परिणामों से पूरी तरह बच नहीं पाएगा। अमेरिका और चीन जैसे देशों में मंदी का असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है। मगर अभी के लिए तेल की कीमतों में संभावित गिरावट भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
गोल्डमैन सैक्स की चेतावनी ने तेल बाजार में हलचल मचा दी है और ये कोई छोटी बात नहीं है। ट्रंप के ट्रेड वॉर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक नाजुक मोड़ पर ला खड़ा किया है।