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Up Kiran, Digital Desk: भारत ने वैश्विक सोने के बाजार में अपनी एक महत्वपूर्ण पहचान बना ली है। लगभग 23 ट्रिलियन डॉलर के इस विशाल बाजार का 15% हिस्सा अब भारत के पास है, जो देश की बढ़ती आर्थिक शक्ति को दर्शाता है।

यह आँकड़ा बेहद प्रभावशाली है, खासकर जब हम इसे 2005 से तुलना करें, जब यह हिस्सेदारी केवल 7% थी। पिछले दो दशकों में यह लगभग दोगुना से भी ज़्यादा हो गई है।

इस उल्लेखनीय वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। भारत की बढ़ती समृद्धि, सोने का भारतीय परंपराओं और त्योहारों में गहरा सांस्कृतिक महत्व, और महंगाई से बचाव के लिए इसे एक सुरक्षित निवेश मानने की ऐतिहासिक प्रवृत्ति, ये सभी कारक मिलकर भारत में सोने की मांग को बढ़ाते हैं।

दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के नाते, भारत का बढ़ता मध्यम वर्ग और लगातार बढ़ती क्रय शक्ति (डिस्पोजेबल इनकम) शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से सोने की मांग को बढ़ावा देती है।

यह प्रवृत्ति वैश्विक सोने के बाजार में भारत की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करती है और आने वाले वर्षों में इसमें निरंतर वृद्धि का संकेत देती है। यह बहुमूल्य धातुओं के उद्योग में भारत की प्रमुख स्थिति को और मजबूत करता है।

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