
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास ने एक ऐसा कमाल कर दिखाया है, जो भारत में दिव्यांगजनों के जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। उन्होंने 'अरिस' (Arise) नाम की एक खास 'स्टैंडिंग व्हीलचेयर' (खड़े होने वाली व्हीलचेयर) विकसित की है, जो न केवल देश की सबसे हल्की व्हीलचेयर है, बल्कि इसकी कीमत भी बहुत कम है।
यह व्हीलचेयर सिर्फ 12 से 14 किलोग्राम वजनी है, जबकि आयातित स्टैंडिंग व्हीलचेयर का वजन आमतौर पर 25 किलोग्राम से अधिक होता है। सबसे बड़ी बात, इसकी कीमत सिर्फ 15,000 से 20,000 रुपये है, जबकि बाजार में मिलने वाली ऐसी विदेशी व्हीलचेयर की कीमत 1.5 लाख से 2 लाख रुपये तक होती है। इसे एल्यूमीनियम जैसी हल्की धातु से बनाया गया है।
IIT मद्रास के 'टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट' (R2D2) सेंटर द्वारा विकसित यह व्हीलचेयर खासकर रीढ़ की हड्डी में चोट (spinal cord injury) लगे मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगी। यह व्हीलचेयर उपयोगकर्ता को आसानी से बैठने से खड़े होने की स्थिति में आने में मदद करती है, जिससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात मिल सकती है।
डॉक्टरों के अनुसार, खड़े होने से शरीर पर लगातार पड़ने वाला दबाव कम होता है, जिससे बिस्तर घाव (pressure sores) बनने का खतरा कम हो जाता है। यह रक्त संचार, मूत्राशय के कार्य और हड्डियों के घनत्व (bone density) में सुधार करने में भी मदद करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात, यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है और उपयोगकर्ता को सम्मान और आत्मनिर्भरता का अनुभव कराती है।
IIT मद्रास से जुड़ी 'नियोमोशन' (NeoMotion) नाम की एक स्टार्टअप कंपनी इस व्हीलचेयर को बाजार में लाएगी। यह व्हीलचेयर स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और मल्टीपल स्केलेरोसिस से जूझ रहे मरीजों के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगी। यह वाकई भारतीय इंजीनियरिंग और नवाचार का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो हजारों जिंदगियों को रोशन करेगा।
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