
Up Kiran, Digital Desk: जब बात देश के किसानों और छोटे उद्यमियों के हितों की आती है, तो भारत सरकार किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है। हाल ही में, अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) के मसले पर भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही जा रही हो, भारत अपने 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प पर मजबूती से कायम है।
किसानों और उद्यमियों के लिए 'दीवार' बनेगी सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में देशवासियों को आश्वस्त किया है। उन्होंने कहा है कि चाहे कितना भी दबाव आए, भारत अपनी ताकत बढ़ाना जारी रखेगा और देश के छोटे उद्यमियों, किसानों और पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार एक 'दीवार' की तरह खड़ी रहेगी। यह बयान साफ तौर पर दर्शाता है कि भारत अपने आर्थिक और राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही इससे अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में कुछ खटास आए।
क्यों है भारत का रुख इतना दृढ़?
जानकारी के मुताबिक, यह कदम रूस से तेल खरीदने जैसे भारत के फैसलों पर अमेरिका की ओर से एक तरह की 'पेनाल्टी' के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका का तर्क है कि भारत अपनी कृषि उपज के लिए बाजार खोलने और अपने किसानों को सब्सिडी देने जैसे मुद्दों पर भी भारत पर दबाव बना रहा है। लेकिन, भारत का कहना है कि वह अपनी कृषि व्यवस्था की नाजुकता को समझता है। हमारे छोटे किसान, जिनके पास बड़े पैमाने पर अमेरिकी किसानों जैसी सुविधाएं या बड़े खेत नहीं हैं, वे विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर पाएंगे। इसलिए, कृषि क्षेत्र में आयात पर उच्च टैरिफ लगाकर उन्हें सुरक्षित रखना भारत की प्राथमिकता है।
'वोकल फॉर लोकल' की भावना और भविष्य की राह
यह स्थिति 'वोकल फॉर लोकल' (Vocal for Local) और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों के महत्व को और भी बढ़ा देती है। भारत न केवल अपने घरेलू उद्योगों को मजबूत कर रहा है, बल्कि अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक रास्ते भी तलाश रहा है। ऐसे में, अमेरिकी टैरिफ के जवाब में भारत अपनी निर्यात रणनीतियों में विविधता ला रहा है और यूरोपीय संघ (EU) व लैटिन अमेरिका जैसे बाजारों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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