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Up Kiran, Digital Desk: हमारे देश भारत ने दूर स्थित दक्षिण अमेरिकी देश चिली के साथ अपने आर्थिक रिश्ते और मज़बूत किए हैं। दोनों देशों के बीच एक आर्थिक समझौता हुआ है, और यह समझौता सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है; उम्मीद है कि इसका असर दुनिया भर में सामान बनने और सप्लाई होने के तरीके पर पड़ेगा, जिसे हम 'ग्लोबल वैल्यू चेन' (Global Value Chains - GVCs) कहते हैं।

जब कोई सामान बनता है, तो उसके अलग-अलग हिस्से शायद अलग-अलग देशों में बनते हैं, फिर एक जगह असेंबल होते हैं और फिर दुनिया भर में बिकने जाते हैं। यही ग्लोबल वैल्यू चेन है। यह समझौता भारत और चिली के बीच व्यापार को आसान बनाएगा, जिससे दोनों देशों की कंपनियां इस वैश्विक प्रक्रिया में और बेहतर तरीके से हिस्सा ले पाएंगी।

इस समझौते से उम्मीद है कि भारत और चिली के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान बढ़ेगा। व्यापार के नियम ज़्यादा स्पष्ट होंगे, टैक्स (tariff) कम हो सकते हैं, और बिज़नेस करना आसान हो जाएगा। जब ऐसा होता है, तो दोनों देशों की कंपनियां एक-दूसरे के साथ ज़्यादा व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित होती हैं।

इसका मतलब है कि शायद भारत से बनी कोई चीज़ का हिस्सा चिली में इस्तेमाल हो, या चिली से आई कोई चीज़ भारत में बने किसी बड़े प्रोडक्ट का हिस्सा बने। यह दोनों देशों को एक-दूसरे के व्यापार नेटवर्क में ज़्यादा गहराई से जोड़ने में मदद करेगा।

कुल मिलाकर, भारत और चिली के बीच यह आर्थिक समझौता एक सकारात्मक कदम है। यह न सिर्फ दोनों देशों के आपसी संबंधों को बेहतर बनाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी वस्तुओं के उत्पादन और सप्लाई की प्रक्रिया को ज़्यादा कुशल और कनेक्टेड बनाने में योगदान देगा। यह दिखाता है कि कैसे देश एक-दूसरे के साथ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को मज़बूत कर सकते हैं।

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