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Up Kiran, Digital Desk: जैसे-जैसे दक्षिण पूर्व एशिया (Southeast Asia) वैश्विक सेमीकंडक्टर (Semiconductor) और दुर्लभ पृथ्वी खनिज (Rare Earth Mineral) उद्योगों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, भारत भी दुनिया के बदलते व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह विशेष रूप से तब और भी प्रासंगिक हो जाता है जब संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और चीन (China) के बीच व्यापार टैरिफ (Tariff Tensions) को लेकर तनाव बढ़ रहा है।

चीन के प्रभुत्व को चुनौती: भारत की रणनीतिक भूमिका

हालांकि दशकों से चीन के प्रभुत्व (Chinese dominance) को पलटने के लिए कोई एकल 'चांदी की गोली' (silver bullet) मौजूद नहीं है, लेकिन अमेरिकी रक्षा वित्तपोषण (US defence funding), यूरोपीय संघ के बाजार नियमन (EU market regulations), JOGMEC कूटनीति (JOGMEC diplomacy) और भारतीय अन्वेषण (Indian exploration) का संयोजन पहले से ही आपूर्ति मानचित्र (supply map) को नया आकार दे रहा है।

JOGMEC कूटनीति का अर्थ है जापान संगठन फॉर मेटल्स एंड एनर्जी सिक्योरिटी (Japan Organisation for Metals and Energy Security - JOGMEC) का रणनीतिक उपयोग, ताकि जापान की ऊर्जा और संसाधन आवश्यकताओं को सुरक्षित किया जा सके, साथ ही वैश्विक संसाधन विकास (global resource development) में भी योगदान दिया जा सके।

'पॉलिटीया रिसर्च फाउंडेशन' की रिपोर्ट: सफलता के सूत्र

पॉलिटीया रिसर्च फाउंडेशन (Politeia Research Foundation - PRF) द्वारा प्रकाशित एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, "जो देश पूंजी (capital), रचनात्मकता (creativity) और विश्वसनीय मानकों (credible standards) को जोड़ते हैं, उनके पास रणनीतिक बाधाओं (strategic chokeholds) का शिकार हुए बिना दुर्लभ-पृथ्वी युग (rare-earth era) को सफलतापूर्वक नेविगेट करने का सबसे अच्छा मौका है।"

ASEAN-भारत व्यापार समझौता: चुनौतियां और अवसर

रिपोर्ट के लेखक, वकील और स्वतंत्र नीति सलाहकार माधव माहेश्वरी (Madhav Maheshwari) के अनुसार, भारत द्वारा आसियान-भारत माल व्यापार समझौते (ASEAN-India Trade in Goods Agreement - AITIGA) का चल रहा पुन: वार्ता (renegotiation) भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच व्यापार गतिशीलता (trade dynamics) और आपूर्ति श्रृंखला आंदोलनों (supply chain movements) को नया आकार देने की काफी क्षमता रखता है।

हालांकि, यह भी सामने आया है कि इस समझौते में एक असंतुलन (imbalance) है। भारत ने अपने 71% टैरिफ लाइनों पर ड्यूटी रियायतें (duty concessions) दी हैं, जबकि आसियान देशों (ASEAN countries) ने काफी कम बाजार पहुंच (market access) प्रदान की है। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया ने केवल 41% टैरिफ लाइनों को खोला है, वियतनाम ने 66.5%, और थाईलैंड ने 67%। इस असंतुलन के कारण भारत का आसियान के साथ व्यापार घाटा (trade deficit) 2010-11 में $5 बिलियन से बढ़कर 2022-23 में $43.57 बिलियन हो गया है, जिसमें सेमीकंडक्टर आयात का एक प्रमुख घटक है।

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