
Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में नेपाल में हुए 'GenZ' प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा और जान-माल के नुकसान की जांच के लिए बनाई गई एक आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है. आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के देश छोड़कर जाने पर पाबंदी लगा दी है.
रविवार को जारी एक बयान में जांच आयोग ने बताया कि उसने संबंधित सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे ओली और लेखक के साथ-साथ पूर्व गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवाड़ी, राष्ट्रीय जांच विभाग के पूर्व प्रमुख हुतराज थापा और काठमांडू के पूर्व मुख्य जिला अधिकारी छबि रिजाल की विदेश यात्रा पर भी रोक लगाएं.
आयोग का कहना है कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि ये सभी लोग जांच के दायरे में हैं और पूछताछ के लिए उन्हें कभी भी बुलाया जा सकता है. इतना ही नहीं, इन सभी को बिना इजाजत के काठमांडू घाटी छोड़ने से भी मना किया गया है.
क्यों हुई थी यह जांच शुरू?
यह मामला 8 और 9 सितंबर को हुए 'GenZ' प्रदर्शनों से जुड़ा है. प्रदर्शनों के पहले ही दिन पुलिस की गोलीबारी में देशभर में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद के दिनों में यह आंकड़ा 70 के पार चला गया, क्योंकि कुछ घायलों ने दम तोड़ दिया और कुछ लोग आगजनी की घटनाओं में मारे गए. प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग यही थी कि इन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए.
सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए समझौते के बाद पिछले हफ्ते ही इस जांच आयोग का गठन किया गया था. इसकी जिम्मेदारी है कि वह पूरे मामले की तह तक जाए, पता लगाए कि इतना बड़ा नुकसान कैसे हुआ, और दोषियों की पहचान कर अपनी रिपोर्ट सौंपे.
अरबों का हुआ था नुकसान
इन प्रदर्शनों के दौरान सिर्फ जानें ही नहीं गईं, बल्कि सरकारी और निजी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा. प्रदर्शन के दूसरे दिन, यानी 9 सितंबर को, प्रदर्शनकारियों ने कई दुकानों और प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की.
एक सरकारी अनुमान के मुताबिक, तोड़फोड़ और आगजनी से सरकारी संपत्तियों को 100 अरब नेपाली रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. वहीं, नेपाल के निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी संस्था, फेडरेशन ऑफ नेपालीज चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार, प्राइवेट सेक्टर को 80 अरब नेपाली रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा.