img

Up Kiran, Digital Desk: अगर आप UPI के ज़रिए भुगतान करते हैं और कभी-कभी तकनीकी गड़बड़ी या धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। 15 जुलाई 2025 से UPI लेन-देन को लेकर एक अहम बदलाव लागू हो गया है, जो करोड़ों भारतीय यूज़र्स के लिए राहत लेकर आया है। अब अगर कोई ट्रांजैक्शन फेल होता है या फिर किसी तकनीकी कारण से पैसा कटने के बावजूद सेवा नहीं मिलती, तो रिफंड की प्रक्रिया कहीं ज्यादा सरल और फुर्तीली होगी।

यह नई व्यवस्था NPCI यानी नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा शुरू की गई है, जो UPI पेमेंट प्लेटफॉर्म की निगरानी करता है। इस बदलाव का मकसद है— शिकायतों का समाधान पहले से अधिक पारदर्शी, सहज और तेज़ बनाना।

पहले कैसी थी स्थिति?

पहले जब किसी ग्राहक का भुगतान असफल होता था या उत्पाद/सेवा नहीं मिलती थी, तो वह अपने बैंक से चार्जबैक की मांग करता था। लेकिन यदि बैंक उस चार्जबैक को ठुकरा देता था, तो दोबारा प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैंक को NPCI से खास अनुमति लेनी पड़ती थी। यह पूरी प्रक्रिया अक्सर हफ्तों तक खिंच जाती थी, जिससे ग्राहकों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती थी।

अब क्या बदलाव हुआ है?

अब NPCI ने इस जटिल प्रक्रिया से छुटकारा दिला दिया है। बैंक को अब सीधे ऐसे मामलों को दोबारा URCS (UPI Reference Complaint System) में डालने की अनुमति मिल गई है, बगैर NPCI से अलग से मंजूरी लिए। इस पहल को "RGNB" यानी Remitting Bank Raising Good Faith Negative Chargeback नाम दिया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो, यदि किसी ग्राहक का सही चार्जबैक गलती से खारिज कर दिया गया हो, तो अब बैंक उसे दोबारा प्रोसेस कर सकेगा— और वह भी तुरंत।

ग्राहकों को क्या फायदा होगा?

इस बदलाव से ग्राहकों को दो बड़े फायदे होंगे— एक तो उन्हें लंबे इंतज़ार से राहत मिलेगी और दूसरा, बैंकों और NPCI के बीच पेंडिंग मामलों की संख्या घटेगी। पहले जहां एक रिफंड के लिए ग्राहक को हफ्तों तक फॉलो-अप करना पड़ता था, अब वही काम कुछ ही दिनों में पूरा हो सकेगा।

विदेशों में भी फैलेगा UPI का दायरा

इस बदलाव के बीच एक और बड़ी खबर यह है कि अब भारतीय पर्यटक UAE यानी संयुक्त अरब अमीरात में भी पहले से ज्यादा जगहों पर UPI के ज़रिए भुगतान कर सकेंगे। NPCI International Payments Ltd ने कई इंटरनेशनल आउटलेट्स के साथ साझेदारी कर ली है, जिससे अब दुबई जैसे शहरों में भारतीय ग्राहक आसानी से डिजिटल भुगतान कर सकेंगे। इससे न केवल लेन-देन आसान होगा, बल्कि भारी नकदी या अलग-अलग डेबिट/क्रेडिट कार्ड्स की जरूरत भी खत्म हो जाएगी।

क्यों जरूरी था यह कदम?

जैसे-जैसे डिजिटल लेनदेन का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है, वैसे ही गलत ट्रांजैक्शन और धोखाधड़ी के मामले भी सामने आ रहे हैं। NPCI का यह प्रयास उपभोक्ताओं में भरोसा बनाए रखने और डिजिटल सिस्टम को और अधिक भरोसेमंद बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। तकनीक को जनता के लिए और अधिक अनुकूल बनाने की इस कोशिश का असर निश्चित रूप से लंबे समय तक दिखाई देगा।

 

 

--Advertisement--