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Pension Scheme: बहुत वक्त से सरकारी कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में संशोधन या पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। विपक्ष भी इस मुद्दे का इस्तेमाल समर्थन जुटाने के लिए कर रहा था। इसके जवाब में अब मोदी सरकार ने निर्णायक कदम उठाया है। शनिवार को पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) नामक एक नई पेंशन योजना को मंजूरी दी।

इस योजना के तहत 25 साल की न्यूनतम योग्यता सेवा के लिए रिटायरमेंट से पहले अंतिम 12 महीनों में औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत निकाला जाता है। इसके अतिरिक्त, ये योजना कई अन्य लाभ भी प्रदान करती है, जैसे कि सुनिश्चित पेंशन, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, मुद्रास्फीति से जुड़ा इंडेक्सेशन और ग्रेच्युटी के अलावा अतिरिक्त भुगतान। आइए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के बीच अंतर जानते हैं।

पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस)

ओपीएस के तहत सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी के वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्रदान किया जाता है।

ओपीएस में सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) का प्रावधान शामिल है, जिसमें कर्मचारी अपने वेतन का एक हिस्सा योगदान कर सकते हैं, जिसे सेवानिवृत्ति के समय ब्याज सहित वापस कर दिया जाता है।

ओपीएस में कर्मचारी 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी राशि प्राप्त करने के पात्र हैं।

ओपीएस के अंतर्गत भुगतान सरकारी खजाने के माध्यम से किया जाता है, जिससे ये पता लगता है कि पेंशन का वित्तपोषण सीधे सरकार द्वारा किया जाए।

सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को पेंशन राशि मिलती रहती है।

ओपीएस के अंतर्गत पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती।

ओपीएस में हर छह महीने में महंगाई भत्ता (डीए) प्राप्त करने का प्रावधान शामिल है, जो महंगाई के अनुसार पेंशन को समायोजित करने में मदद करता है।

नई पेंशन योजना (एनपीएस)

एनपीएस के तहत कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) का 10 प्रतिशत पेंशन फंड के लिए काटा जाता है।

एनपीएस शेयर बाजार से जुड़ा हुआ है, जिसका मतलब है कि रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव के अधीन है और यह पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं है। इसमें कर प्रावधान भी शामिल हैं।

सेवानिवृत्ति पर पेंशन प्राप्त करने के लिए एनपीएस फंड का 40 प्रतिशत वार्षिकी में निवेश किया जाना चाहिए।

एनपीएस सेवानिवृत्ति के बाद कोई निश्चित पेंशन राशि की गारंटी नहीं देता है; पेंशन फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

ओपीएस के विपरीत, एनपीएस सेवानिवृत्ति के बाद महंगाई भत्ते (डीए) समायोजन प्रदान नहीं करता है।

एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस)

यूपीएस में पेंशन के वित्तपोषण की जिम्मेदारी कर्मचारी पर नहीं होती है और इसमें सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है।

कर्मचारियों को रिटायरमेंट से 12 महीने पहले के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा।

यदि किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट से पहले मृत्यु हो जाती है, तो देय पेंशन का 60 प्रतिशत हिस्सा उसके जीवनसाथी को प्रदान किया जाएगा।
कम अवधि की सेवा वाले लोगों के लिए यूपीएस न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन की गारंटी देता है।

यूपीएस में महंगाई भत्ते के समान मुद्रास्फीति सूचकांकीकरण शामिल है, जो महंगाी दरों के अनुसार सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन को समायोजित करता है।

ग्रेच्युटी के साथ साथ यूपीएस सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान भी प्रदान करता है। हर छह महीने की सेवा के लिए, कर्मचारियों को एकमुश्त भुगतान के रूप में उनके मासिक वेतन (वेतन + डीए) का 1/10वां हिस्सा मिलता है।

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